UPPSC की परीक्षाओं में सफलता का स्तर गिरने से हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी चिंतित

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि यूपीपीएससी अंग्रेजी के परीक्षकों से हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की कापियों का मूल्यांकन कराता है जिससे उन्हें अपेक्षा से कम नंबर मिलते हैं। हिंदी माध्यम का परीक्षक होगा तो वह उत्तरों को बेहतर तरीके से समझकर नंबर देगा।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 03:01 PM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 03:01 PM (IST)
UPPSC की परीक्षाओं में सफलता का स्तर गिरने से हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी चिंतित
हिंदी माध्यम के लिए सफलता का मानक तय करने की है अभ्यर्थियों की मांग

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। संघ लोकसेवा आयोग ने बीते दिनों सिविल सेवा परीक्षा-2020 का परिणाम घोषित किया। प्रतियोगियों का आरोप है कि उक्त भर्ती में हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों को अपेक्षा से कम सफलता मिली है। कुछ ऐसी स्थिति उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस भर्ती में भी बताई जाती है। यूपीपीएससी ने पीसीएस-2018 मुख्य परीक्षा नए पैटर्न पर कराई थी। पेपर का स्वरूप बदला गया, पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव हुए। रक्षा अध्ययन, समाज कार्य, कृषि अभियांत्रिकी, अरबी-फारसी जैसे विषय पीसीएस की परीक्षा से बाहर कर दिए गए। इसके बाद से हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की सफलता प्रतिशत कम होने लगा। 

40 फीसद रही हिंदी अभ्यर्थियों की सफलता की दर

पीसीएस-2018, 2019, 2020 में हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की सफलता की स्थिति लगभग 40 प्रतिशत रही। ऐसी स्थिति में प्रतियोगी हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की सफलता का मानक तय करने की मांग उठाने लगे हैं। प्रतियोगियों का कहना है कि कुछ वर्ष पहले तक लोकसेवा आयोग की पीसीएस भर्ती परीक्षा में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों का बोलबाला रहता था, लेकिन पैटर्न बदलने से स्थिति विपरीत हो गई है। यूपीपीएससी अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों को ध्यान में रखकर पेपर तैयार कराता है।

अंग्रेजी के परीक्षकों से हिंदी कापियों का मूल्यांकन

प्रतियोगी छात्र संघर्ष के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि यूपीपीएससी अंग्रेजी के परीक्षकों से हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की कापियों का मूल्यांकन कराता है, जिससे उन्हें अपेक्षा से कम नंबर मिलते हैं। हिंदी माध्यम का परीक्षक होगा तो वह उत्तरों को बेहतर तरीके से समझकर नंबर देगा। जिन प्रश्नों को प्रश्नपत्र में शामिल किया जाता है, उससे जुड़ी किताबें नहीं मिलती। अधिकांश सरकारी बेवसाइट पर सारा ब्योरा अंग्रेजी में होता है, जिससे प्रतियोगियों को दिक्कत होती है। कहा कि जैसे सरकार आरक्षण लागू करती है, ठीक उसी तर्ज पर हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए कम से कम 50 प्रतिशत पद आरक्षित किया जाय। इसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई कराने की मांग की गई है। 

नहीं मिला सफल अभ्यर्थियों का ब्योरा 

अवनीश पांडेय का कहना है कि फरवरी-2021 में उन्होंने यूपीपीएससी व संघ लोकसेवा आयोग में आरटीआइ दाखिल करके वर्ष 2018, 2019 में हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि में परीक्षा देने वाले सफल अभ्यर्थियों की संख्या पूछी थी, लेकिन दोनों संस्थानों ने जवाब नहीं दिया। संघ लोकसेवा आयोग का जवाब था कि आपकी आरटीआइ से संबंधित तथ्य सदन के पटल पर रखा जाना है, जब तक सदन के पटल पर नहीं रख दिया जाता, जवाब देना संभव नहीं है। वहीं यूपीपीएससी का जवाब था कि इस तरह की सूचना संकलित नहीं की जाती है।

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