हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से किया सवाल, सरकारी वेबसाइट पर क्यों नहीं अपलोड है कानून
हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से कहा कि वह क्यों नहीं अपने कानूनों को सरकारी वेबसाइट पर अपलोड कर रही है? सरकार के बनाये कानून और उन कानूनों में हुए संशोधन का प्राइवेट प्रकाशको द्वारा सही प्रकाशन न करने से न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोगों को परेशानी होती है।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से कहा कि वह क्यों नहीं अपने बनाये कानूनों को सरकारी वेबसाइट पर अपलोड कर रही है? कोर्ट ने कहा कि सरकार के बनाये कानून और उन कानूनों में हुए संशोधन का प्राइवेट प्रकाशको द्वारा सही प्रकाशन न करने से न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोगों को परेशानी होती है। गलत प्रकाशित कानूनों के चलते कोर्ट को भी केसों की सुनवाई के दौरान सही जानकारी नहीं मिलती है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि यह सरकार का दायित्व है कि वह अपने बनाए कानूनों को सरकारी वेबसाइट पर अपलोड करें, जिससे आम जनता व कानून के क्षेत्र से जुड़े लोगों को उसकी सही जानकारी मिल सके।
प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों में काफी अंतर देख कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
सरकार की तरफ से जवाबी हलफनामा दाखिल कर कहा गया कि सरकार ने अपनी आफिशियल वेबसाइट पर अपलोड करने का प्रावधान पहले से बना रखा है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कोर्ट में उपस्थित अपने स्टाफ से कहा कि वह देखे कि सरकार के किस वेबसाइट पर कानून संबंधी जानकारी, एक्ट व रूल्स अपलोड हैं। कोर्ट के कहने पर कोर्ट स्टाफ ने जब चेक किया तो उसे वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध नहीं मिली।
अब 16 दिसंबर को इस मसले पर की जाएगी सुनवाई
इस पर सरकार की तरफ से वस्तुस्थिति की सही जानकारी के साथ कोर्ट को पुन: बताने का अनुरोध किया गया। इसके लिए कोर्ट से कुछ और समय देने की मांग की गई। अदालत ने इस पर 16 दिसंबर को पुन: सुनवाई करने का निर्देश देते हुए कहा कि उस दिन सरकार इस मामले सही कार्रवाई करके कोर्ट को अवगत कराए।