यहां दो बाल गृह में महज एक बच्चा, प्रतापगढ़ में ​​​​​बजट के अभाव में कर्मचारियों को मानदेय देना मुश्किल

शहर के शुकुलपुर में बाबा राम उदित सेवा संस्था शिश़ु एवं बाल गृह है। इसकी क्षमता 25 बच्चों की है। इस केंद्र को 23 जून 2018 को मान्यता मिली थी। उस समय से आज तक इसे सरकार की ओर से कोई बजट नहीं मिल सका।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 02:37 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 02:37 PM (IST)
यहां दो बाल गृह में महज एक बच्चा, प्रतापगढ़ में ​​​​​बजट के अभाव में कर्मचारियों को मानदेय देना मुश्किल
जिले में बच्चों के लिए दो बालगृह हैं। एक बालगृह में सिर्फ एक बच्चा पल रहा है

प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। जिले में बच्चों के लिए दो बालगृह हैं। एक बालगृह में सिर्फ एक बच्चा पल रहा है, जबकि दूसरे में मौजूदा वक्त में एक भी बच्चा नहीं है। बच्चों की देखरेख का जिम्मा केंद्र पर तैनात कर्मियों पर है।

ट्रेेन में मिला एक मूक-बधिर बच्चा है संस्थान में

शहर के शुकुलपुर में बाबा राम उदित सेवा संस्था शिश़ु एवं बाल गृह है। इसकी क्षमता 25 बच्चों की है। इस केंद्र को 23 जून 2018 को मान्यता मिली थी। उस समय से आज तक इसे सरकार की ओर से कोई बजट नहीं मिल सका। इस केंद्र पर अब तक कुल 34 बच्चे रह चुके हैं। यहां से अब तक 18 बच्चों को लोगों द्वारा गोद लिया जा चुका है। शेष बच्चों को बाद में पता लगाकर उनके हवाले कर दिया गया। पूर्व में बच्चों को गोद दिए जाने की सुविधा यहां नहीं थी। दिसंबर 2019 से यह सुविधा अपने जिले में भी हो गई। तब से अब तक सात बच्चों को गोद दिया गया। यहां पर वैसे तो कुल 25 लोगों का स्टाफ है, लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए सात-सात कर्मचारियों को दिन व रात की ड्यूटी के लिए बुलाया जाता है। यहां पल रहा बच्चा दो साल पूर्व पद्मावत एक्सप्रेस में मिला था। इसके साथ मौजूद व्यक्ति की मौत हो गई थी। उसी के पास यह मिला था। बच्चा मूक एवं बधिर है। शुरुआत में तो वह काफी बीमार रहा लेकिन अब उसकी सेहत में सुधार है। यहां के हाउस फादर रत्नेश शुक्ल ने बताया के बजट के अभाव में कर्मचारियों को मानदेय देने में परेशानी उठानी पड़ रही है। शासन से बजट की मांग की गई है।

17 कर्मचारी औऱ बालक एक भी नहीं

इसी प्रकार सिटी रोड पर दूसरा समभाव सेवा संस्थान द्वारा संचालित बालगृह (बालक) स्थित है। यहां 25 बच्चों के रहने की व्यवस्था है। यहां पर 10 से 18 साल के बालकों को रखा जाता है। वर्तमान में इस केंद्र पर एक भी बच्चा नहीं है। अधीक्षक कंचन शुक्ला ने बताया कि यहां 17 कर्मचारी हैं। इनमें 11 पूर्णकालिक और छह अंशकालिक हैं। भाारतीय बाल सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत यह केंद्र चल रहा है। भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार कार्य किया जाता है। यह अक्टूबर 2019 से चल रहा है। संस्थाध्यक्ष अभय पांडेय ने बताया कि इस वर्ष पांच बच्चे आए थे। इन बच्चों को उनके आश्रितों के पास पहुंचाया गया है। दो माह पूर्व इनमें से एक 12 वर्षीय ऐसा बच्चा आया, जो बचपन से मामा के यहां रहता था। वह अपने पिता के पास नहीं जाना चाहता था। उसकी नियमित रूप से लगभग 20 दिनों तक काउंसिलिंग कराई गई। इसके बाद वह अपने पिता के साथ गया और अब पढ़ाई कर रहा है। संस्था अध्यक्ष ने बताया सरकार से बजट की मांग की गई है।

शुरू से नहींम मिला बजट

जब से बालगृह खोले गए हैं, बजट नहीं मिल सका। निदेशालय स्तर से फाइल रुकी हुई है। यहां से दुबारा बजट की मांग की गई है।

-रन बहादुर वर्मा, जिला प्रबोशन अधिकारी

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