शासन ने सभी विभागों में कर्मचारियों के स्थानांतरण से रोक हटाई, निर्णय से तमाम कर्मचारी तनाव में हैं
कई कर्मचारियों का कहना है कि अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है। कई कर्मी पोस्ट कोविड की समस्याओं से भी जूझ रहे हैं। यदि उनका स्थानांतरण किया जाता है तो वह फिर खतरे में पड़ सकते हैं। जहां भी जाएंगे वहां किस तरह का माहौल है उसका पता नहीं है।
प्रयागराज, जेएनएन। पिछले दिनों कोरोना महामारी को देखते हुए शासन ने सभी विभागों में किसी भी तरह के स्थानांतरण पर रोक लगा दी थी। तमाम कार्यालय इस दौरान बंद भी रहे या कर्मी वर्क फ्राम होम पर रहे। अब मुख्य सचिव उप्र शासन ने पत्र जारी कर कहा है कि सभी स्थानांतरण पर लगी रोक हटा दी गई है। आवश्यकता के अनुसार विभाग अपना निर्णय ले सकते हैं। इस आदेश से कुछ कर्मी राहत महसूस कर रहे तो कुछ तनाव में हैं।
कर्मचारियों ने दिया कोरोना का हवाला
कई कर्मचारियों का कहना है कि अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है। कई कर्मी पोस्ट कोविड की समस्याओं से भी जूझ रहे हैं। यदि उनका स्थानांतरण किया जाता है तो वह फिर खतरे में पड़ सकते हैं। जहां भी जाएंगे वहां किस तरह का माहौल है उसका कुछ पता नहीं है। आखिर शासन ने यह स्थानांतरण करने की शुरुआत किस विचार से की है। क्या कोरोना खत्म हो गया। या फिर भी खतरा खत्म हो गया।
शिक्षक नेता बोले- बहुत आवश्यकता होने पर ही स्थानांतरण हो
कर्मियों का कहना है कि यह लापरवाही के साथ कर्मियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। वर्तमान परिस्थिति में तो यही उचित होता कि जो जहां है वैसे ही रखा जाए। बस विभाग के कार्य को सुचारु ढंग से चलाने का प्रयास होना चाहिए। कुछ शिक्षक नेताओं का भी कहना है कि बहुत जरूरत होने पर उन्हीं को स्थानांतरित किया जाए जो स्वयं किसी निर्धारित स्थान पर जाना चाहते हैं। या पारिवारिक वजहों से अपने घर के के निकट जाना चाहते हैं तो उनकी भी मदद होनी चाहिए।