औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार दे रही सुविधाएं Prayagraj News

अन्नदाता आर्थिक रूप से मजबूत होंगे और दूसरे पानी की बर्बादी नहीं होगी। दरअसल औषधीय पौधों की फसल की सिंचाई कम होती है। साथ ही काफी संख्या में लोग इससे संबंधित रोजगार से जुड़ेंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 23 Nov 2019 07:30 AM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 06:52 PM (IST)
औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार दे रही सुविधाएं Prayagraj News
औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार दे रही सुविधाएं Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। औषधीय खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार ने भी औषधीय खेती को बढ़ावा देने पर विशेष ध्‍यान दे रही है। इसके लिए सरकार की ओर से कई तरह की सुविधाएं दी जा रही हैैं। लागत से लेकर औषधीय उत्पाद रखने और उसकी बिक्री तक की व्यवस्था की जा रही है। औषधीय खेती को बढ़ावा देने से कई लाभ हैैं।

औषधीय खेती से अन्नदाता आर्थिक रूप से मजबूत होंगे

औषधीय खेती के माध्‍यम से किसान आर्थिक रूप से मजबूत तो होंगे ही, साथ ही पानी की बर्बादी भी नहीं होगी। दरअसल, औषधीय पौधों की फसल की सिंचाई कम होती है। साथ ही काफी संख्या में लोग इससे संबंधित रोजगार से जुड़ेंगे। यही नहीं, औषधियों की पर्याप्त उपलब्धता होने से औषधियों के निर्माण में मिलावट पर अभी अंकुश लग सकेगा। इन्हीं सब लाभों के चलते सरकार ने औषधियों की खेती पर जोर दे रही है। तुलसी, एलोवेरा (घृतकुमारी), अश्वगंधा, सतावर, सर्पगंधा, कालमेघ, ब्राह्मी, पामारोजा की खेती के लिए पूरी लागत दी जा रही है।

बोलीं जिला उद्यान अधिकारी

जिला उद्यान अधिकारी प्रतिभा पांडेय ने बताया कि तुलसी की खेती के लिए 13310 रुपये प्रति हेक्टेयर, अश्वगंधा के लिए 10980 रुपये प्रति हेक्टेयर, सतावर के लिए 27450 रुपये प्रति हेक्टेयर, एलोवेरा के लिए 18670 रुपये प्रति हेक्टेयर की आर्थिक मदद दी जा रही है। औषधीय उत्पाद रखने के लिए यदि किसान दो हजार वर्ग मीटर का गोदाम बनाना चाहेंगे तो उसके लिए सब्सिडी दी जा रही है। इसकी लागत लगभग 10 लाख रुपये आंकी गई है, जिसमें पांच लाख रुपये सरकार सब्सिडी देगी।

किसान अपने औषधीय उत्पादों की बिक्री कर सकेंगे

यही नहीं, बाजार उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही क्रेता-विक्रेता मीट भी आयोजित होगा, जिसमें कई औषधियां बनाने वाली बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाएगा। इसके अलावा गांवों में कलेक्शन सेंटर खोले जाएंगे, जहां किसान अपने औषधीय उत्पादों की बिक्री कर सकेंगे।

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