Good News: प्रयागराज की वायु गुणवत्ता में अब होने लगा सुधार, जानें क्‍या है एक्‍यूआइ

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) स्टेशन का एयर क्‍वालिटी इंडेक्स गुरुवार की सुबह औसतन 239 पहुंच गया। यहां की वायु गुणवत्ता में अब कुछ सुधार हुआ है। पिछले दिनों की यह खराब स्थिति में पहुंच गई थी। एक्यूआइ न्यूनतम 113 और अधिकतम 321 रिकार्ड किया गया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 18 Nov 2021 11:29 AM (IST) Updated:Thu, 18 Nov 2021 11:29 AM (IST)
Good News: प्रयागराज की वायु गुणवत्ता में अब होने लगा सुधार, जानें क्‍या है एक्‍यूआइ
प्रदूषण की प्रयागराज में स्थिति पहले की अपेक्षा कुछ कम हुई है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज के लोगों के लिए यह अच्‍छी खबर है। संगम नगरी की आबोहवा में मामूली सुधार होने लगा है। अति सूक्ष्म कणों और धूल कणों की मात्रा बढ़ने से गुरुवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 311 रहा। हालांकि, वायु गुणवत्ता बहुत खराब स्थिति में थी। इसके लिए मुख्य रूप से धूल के कण जिम्मेदार हैं। इनमें सड़क पर उड़ने वाले धूल के अलावा निर्माण कार्य के दौरान उड़ने वाले धूल, वाहनों से निकलते धुएं, कूड़ा-कचरा हैं। साथ ही मौसम में नमी का भी कुछ असर रहता है। क्योंकि नमी की वजह से हवा की गति भी शांत है और धूल के कण उड़ नहीं पा रहे हैं।

जानें एक्‍यूआइ आज कितना है

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर सेे जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) के मुताबिक झूंसी का पीएम 2.5 यानी धूल के छोटे कण औसतन 311 हैं। एक्यूआइ न्यूनतम 199 और अधिकतम 395 रिकार्ड किया गया। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) स्टेशन का एयर इंडेक्स गुरुवार की सुबह औसतन 239 पहुंच गया। यहां की वायु गुणवत्ता में अब कुछ सुधार हुआ है। पिछले दिनों की यह खराब स्थिति में पहुंच गई थी। एक्यूआइ न्यूनतम 113 और अधिकतम 321 रिकार्ड किया गया। नगर निगम स्टेशन की वायु गुणवत्ता 204 रिकार्ड की गई। एक्यूआइ न्यूनतम 83 और अधिकतम 312 रिकार्ड की गई है।

जानिए क्या है एक्यूआइ का पैमाना

0-50 अच्छी

51-100 संतोषजनक

101-200 मध्यम

201-300 खराब

301-400 बहुत खराब

401-500 खतरनाक।

वातावरण में अब कोहरा भी

प्रयागराज शहर के वातावरण में कोहरा भी छाने लगा है। आसामान में बादल भी हैं। ऐसे में सांस के मरीजों के लिए यह फायदेमंद नहीं हैं। ऐसे मौसम में लोगों को सांस लेने में दिक्‍कत होती है। वहीं सांस के रोगियों को ऐसे मौसम में बचाने की भी जरूरत है। ऐसे वातावरण में प्रदूषण के बढ़ने की भी संभावना रहती है।

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