Good News: प्राचीन मंदिरों का होगा कायाकल्प, पर्यटन के विकास का खाका तैयार कर रहा पीडीए
प्रयागराज समेत सात शहरों में प्राचीन मंदिरों का विकास कराने के लिए शासन ने विकास प्राधिकरणों को जिम्मेदारी सौंपी है। प्राधिकरणों को जिम्मेदारी सौंपे जाने की वजह यह है कि पर्यटन विभाग के पास विकास कार्यों को विशेषज्ञ इंजीनियर नहीं होते हैं प्राधिकरणों के पास एक अलग इंजीनियरिंग विभाग है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज जनपद व दूर-दूर से यहां आने वाले पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है। शहर के कुछ प्राचीन मंदिरों के विकास का खाका प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) तैयार कर रहा है। इसकी डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए कंसल्टेंट के चयन की कवायद भी शुरू हो गई है। डीपीआर फाइनल होने के बाद टेंडर कराकर मंदिरों के विकास और सुंदरीकरण का काम शुरू कराया जाएगा। कार्य कराने के लिए पर्यटन विभाग प्राधिकरण को भुगतान करेगा।
सात शहरों के प्राचीन मंदिरों के विकास पर शासन की योजना
प्रयागराज समेत सात शहरों में प्राचीन मंदिरों का विकास कराने के लिए शासन ने विकास प्राधिकरणों को जिम्मेदारी सौंपी है। प्राधिकरणों को जिम्मेदारी सौंपे जाने की वजह यह है कि पर्यटन विभाग के पास विकास कार्यों के लिए विशेषज्ञ इंजीनियर नहीं होते हैं, जबकि प्राधिकरणों के पास एक अलग इंजीनियरिंग विभाग है।
प्रयागराज के इन मंदिरों का होगा विकास
फिलहाल, पर्यटन विभाग की ओर से प्रयागराज शहर के चार प्राचीन मंदिरों दरियाबाद में तक्षक तीर्थ, दारागंज में नागवासुकि और दशाश्वमेध मंदिर व कर्नलगंज में भारद्वाज मंदिर के विकास के लिए प्राधिकरण को प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया है। प्रस्ताव तैयार होने के बाद डीपीआर बनाने के लिए कंसल्टेंट का चयन किया जाएगा। सभी चीजें डीपीआर में तय होंगी।
मंदिरों में होने वाले विकास कार्य ये होंगे
हालांकि पर्यटन के लिहाज से इन मंदिरों तक पहुंच मार्ग, बेंच, यात्री सेड, सत्संग भवनों के निर्माण के अलावा पेयजल, शौचालय, बेंच आदि की भी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराए जाने की बात है। साइनेज भी जगह-जगह लगाए जाएंगे। मंदिरों का सुंदरीकरण भी होगा। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह ने बताया कि चार मंदिरों के विकास के लिए प्रस्ताव बनाने के लिए कहा गया है। आगे जो भी काम होंगे, वह भी प्राधिकरण के माध्यम से कराया जाएगा।
कंसल्टेंट एजेंसी का खर्च भी देगा पर्यटन विभाग
प्राधिकरण के एक इंजीनियर ने बताया कि कंसल्टेंटों की श्रेणी का निर्धारण वित्तीय आधार पर शासन द्वारा किया गया है। कंसल्टेंट एजेंसी का खर्च भी पर्यटन विभाग ही देगा।