'भक्तन को दर्शन दे दो ललिता मइया..'
सुख व समृद्धि प्राप्ति के लिए सनातन धर्मावलंबी मां भगवती की साधना में लीन हैं। मंदिरों में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : सुख व समृद्धि प्राप्ति के लिए सनातन धर्मावलंबी मां भगवती की साधना में लीन हैं। सात्विक विचारों के साथ नवरात्र के चौथे दिन रविवार के चतुर्थी व पंचमी स्वरूप का पूजन हुआ। सुबह मां के चतुर्थी स्वरूप कूष्मांडा व शाम कां पंचमी स्वरूप स्कंदमाता पूजन किया गया। कलश स्थल पर दीप जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। मां को फल, पुष्प व मिष्ठान अर्पित किया। व्रती महिलाओं ने शारीरिक दूरी मानक का पालन करते हुए घर में भजन-कीर्तन करके मइया को रिझाया। मां ललिता देवी का रत्नजड़ित आभूषणों से कूष्मांडा व स्कंदमाता स्वरूप का श्रृंगार करके पूजन हुआ। शाम को मइया की महाआरती उतारी गई। मंदिर समिति के अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा व महामंत्री धीरज नागर के निर्देशन में शतचंडी यज्ञ में आहुतियां डाली गईं। व्रती महिलाओं ने 'भक्तन को दर्शन दे दो ललिता मइया.., प्यारा सजा है मइया का दरबार.., कृपा बरसा दो हे मेरी मइया..' जैसे भजनों से मइया को रिझाया।
वहीं, मां कालीबाड़ी में व्रती महिलाओं की भीड़ रही। मइया का पूजन करके उनसे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व भौतिक कष्टों से मुक्ति पाने की कामना किया। इसी प्रकार मां अलोपशंकरी के दरबार में मइया के पालने का दर्शन-पूजन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आए। पालने में फूल-माला, चुनरी, नारियल व प्रसाद अर्पित किया। मां के दरबार में मुंडन, नामकरण व कण छेदन का संस्कार दिनभर चलता रहा। मान्यता है कि मां अलोपशंकरी के दरबार में यह संस्कार कराने से मइया की विशेष कृपा भक्तों के ऊपर बरसती है।
मां खेमा माई के दरबार में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों के पहुंचने का सिलसिला दिनभर चला। मइया के दरबार में मत्था टेककर उनका आशीष मांगा। परिक्रमा करके उनसे मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना किया। इसी प्रकार मां कल्याणीदेवी का दरबार भक्तों से भरा रहा। मां के दरबार में मत्था टेककर नारियल, चुनरी व पुष्प अर्पित करके करके पूजन किया। शाम को मंत्रोच्चार के बीच श्यामजी पाठक ने मां के स्कंदमाता स्वरूप का श्रृंगार करके महाआरती उतारी।