Teachers News: मैदानी संवर्ग के जीआइसी शिक्षकों ने विनियमितीकरण विसंगति खत्म कर मांगी वरिष्ठता

विनियमितीकरण में विसंगति के कारण वरिष्ठता में पर्वतीय संवर्ग से पिछड़ गए मैदानी संवर्ग के जीआइसी शिक्षकों के समर्थन में शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने पहल की है। उन्होंने विनियमितीकरण की तिथि संशोधित कर प्रथम नियुक्ति से वरिष्ठता प्रदान करने के लिए अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखा

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 02:51 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 02:51 PM (IST)
Teachers News: मैदानी संवर्ग के जीआइसी शिक्षकों ने विनियमितीकरण विसंगति खत्म कर मांगी वरिष्ठता
शिक्षक विधायक ने मैदानी संवर्ग के समर्थन में शासन को लिखा पत्र

प्रयागराज, राज्य ब्यूरो। एक ही विज्ञापन और चयन समिति के बावजूद विनियमितीकरण में विसंगति के कारण वरिष्ठता में पर्वतीय संवर्ग से पिछड़ गए मैदानी संवर्ग के जीआइसी शिक्षकों के समर्थन में शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने पहल की है। उन्होंने विनियमितीकरण की तिथि संशोधित कर प्रथम नियुक्ति से वरिष्ठता प्रदान करने के लिए अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखा है, ताकि सभी को पदलाभ मिल सके।

पर्वतीय संवर्ग से आठ से दस साल तक जूनियर हो गए

पर्वतीय और मैदानी संवर्ग के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों (जीआइसी) में तदर्थ शिक्षकों की नियुक्तियां वर्ष 1990, 91, 92 में की गई थी। सरकार ने एक अक्टूबर 1990 से पूर्व पर्वतीय संवर्ग में नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को विनियमित कर नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता प्रदान कर दी। इसी आधार पर 1991 और 1992 में तदर्थ नियुक्त शिक्षक भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विनियमित मान लिए गए। बाद में इसमें से अधिकांश शिक्षक मैदानी संवर्ग में स्थानांतरित होकर आ गए और वरिष्ठता के चलते प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नत हो गए। इधर, मैदानी संवर्ग के तदर्थ शिक्षकों के लिए 17 अगस्त 2001 को सरकार ने राजाज्ञा जारी की। इसके मुताबिक सभी तदर्थ शिक्षक, चाहे वह 1991, 92, 93 में नियुक्त हों, को 17 अगस्त 2001 से विनियमित माना गया। इस तरह मैदानी संवर्ग के तदर्थ शिक्षक वरिष्ठता के मामले में पर्वतीय संवर्ग से आठ से दस साल तक जूनियर हो गए। इससे नियुक्ति तिथि के नुकसान के साथ पदलाभ का भी नुकसान हुआ है।

कई और भी हुए हैं भेदभाव

इस मामले में राजकीय शिक्षक संघ पाण्डेय गुट के प्रांतीय महामंत्री रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय बताते हैैं कि मैदानी संवर्ग के तदर्थ शिक्षकों के साथ और भी भेदभाव किया गया। प्रौढ़ शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, प्रसार अध्यापक, माडल स्कूल, प्रांतीयकृत, मृतक आश्रित आदि बाह्य व दूसरे संवर्ग से राजकीय विद्यालयों में समायोजित किए शिक्षकों की सेवाएं या तो विभागीय या तदर्थ थीं, को योग्यता में ढील देकर नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता प्रदान की गई है। इसी तरह 1992 में सर्टिफिकेट टीचर (सीटी) को मृत घोषित कर शिक्षकों को एलटी में पदोन्नति दी गई और इन्हें 1991 में विनियमित मानकर वरिष्ठता प्रदान कर दी गई। एलटी संवर्ग में नियुक्त मैदानी संवर्ग के शिक्षकों के साथ विनियमितीकरण एवं वरिष्ठता में भारी भेदभाव हुआ। ऐसे में मैदानी संवर्ग में तदर्थ नियुक्त शिक्षकों के विनियमितीकरण की तिथि संशोधित कर नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता का लाभ देने की मांग की है।

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