GIC Lecturers: पेंशन लाभ पाएंगे लेकिन डीपीसी में देरी ने रुतबे से किया 25 प्रवक्ताओं को वंचित
राजकीय इंटर कालेजों में विभागीय पदोन्नति की रफ्तार इस कदर धीमी है कि प्रधानाचार्य पद के लिए 2013 के बाद 17 जनवरी 2018 को डीपीसी हुई। इतना ही नहीं इनकी पदस्थापना हो पाती उसके पहले ही कई प्रवक्ता सेवानिवृत्त हो गए। रिटायर होने का क्रम में हर साल चलता रहा
प्रयागराज, राज्य ब्यूरो। विभागीय कामकाज में देरी कई बार बड़ा नुकसान कर देती है। राजकीय इंटर कालेज (जीआइसी) के प्रवक्ताओं की विभागीय पदोन्नति (डीपीसी) में ऐसा ही हुआ। करीब 25 प्रवक्ताओं को प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति तो मिली, लेकिन सेवानिवृत्त हो जाने के बाद। इस तरह नियमानुसार वह पेंशन का लाभ तो पाएंगे, लेकिन प्रधानाचार्य के रूप में कालेज जाने का सम्मान और रुतबा पाने के अरमान मन में ही रह गए।
देरी से डीपीसी और नतीजा भी तीन साल बाद
राजकीय इंटर कालेजों में विभागीय पदोन्नति की रफ्तार इस कदर धीमी है कि प्रधानाचार्य पद के लिए 2013 के बाद 17 जनवरी 2018 को डीपीसी हुई। इतना ही नहीं, इनकी पदस्थापना हो पाती, उसके पहले ही कई प्रवक्ता सेवानिवृत्त हो गए। रिटायर होने का क्रम में हर साल चलता रहा। इधर 2018 में हुई डीपीसी का फाइनल रिजल्ट 23 जून 2021 को आया। इनकी पदस्थापना अब हो पाई। इस तरह डीपीसी पूरी होते-होते करीब 25 प्रवक्ता बिना प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नत हुए ही सेवामुक्त हो गए। इनमें राजेंद्र प्रताप श्रीवास्तव, इंद्रजीत श्रीवास, रामदुलार नागवंशी, अनूप सिंह, सुभाष चंद्र पाण्डेय, दिनेश कुमार, नंद प्रसाद यादव, राम निवास शर्मा, पुरुषोत्तम सिंह, रज्जब अली, रामचंद्र यादव, कमल सिंह, रेनू गौतम, कंचन श्रीवास्तव, रीता सक्सेना, शशिबाला गुप्ता आदि के नाम शामिल हैैं।
समय पर हो डीपीसी तो मिले लाभ
जीआइसी के सहायक अध्यापक रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय कहते हैैं कि समय पर विभागीय पदोन्नति न मिलने से सैकड़ों शिक्षक प्रभावित हैैं। विभागीय अधिकारियों व मंत्रालय को इसे गंभीरता से लेना चाहिए, ताकि किसी का हित प्रभावित न हो। समय पर डीपीसी मिलती तो प्रधानाचार्य या समकक्ष अधिकारी के पद से रिटायर होने का रुतबा प्रोन्नति पाए सेवानिवृत्त प्रवक्ताओं को भी मिलता। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री डा. रवि भूषण ने डीपीसी की सराहना तो की, लेकिन इसे समय से होने पर जोर दिया ताकि इसका लाभ शिक्षकों को मिल सके।