आज 155 साल का हुआ यमुना का गऊघाट पुल Prayagraj News

ब्रिज हावड़ा-दिल्ली रेलमार्ग पर है। इस पुल से रोजाना दो सौ से अधिक पैसेंजर और मालगाडिय़ां गुजरती हैं। कुंभ 2019 के दौरान एलईडी और फसाड लाइट से पुल को सुसज्जित भी किया गया था।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 06:20 PM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 06:20 PM (IST)
आज 155 साल का हुआ यमुना का गऊघाट पुल Prayagraj News
आज 155 साल का हुआ यमुना का गऊघाट पुल Prayagraj News

प्रयागराज,[ गिरजेश नायक]। देश के सबसे पुराने रेलवे पुलों में से एक प्रयागराज में यमुना नदी पर बना गऊघाट रेलवे पुल (नैनी यमुना ब्रिज) आज 155 बरस का हो गया। दो मंजिला इस पुल पर देश के सबसे व्यस्त दिल्ली-हावड़ा रेल रूट का ट्रैक है। निचले तल पर इस पुल से शहर का यातायात भी गुजरता है।

इंजीनियरिंग के इस बेजोड़ नमूने को बनाने की शुरूआत 1859 में हुई थी। छह साल में यह तैयार भी हो गया था। ब्रिटिश इंजीनियर रेंडल की डिजाइन और इंजीनियर सिवले की देखरेख में बने इस पुल पर ट्रेनों का आवागमन 15 अगस्त 1865 में शुरू हुआ। इसके बाद से ही यह पुल अपने मजबूत कांधों पर दिल्ली-हावड़ा के बीच ट्रेन संचालन की जिम्मेदारी संभाले हुए है। उस समय 44,46,300 रुपये की लागत से बना यह पुल आज भी पूरी तरह मजबूत व सुरक्षित है, जबकि इसके बाद बने तमाम रेलवे पुलों की उम्र पूरी हो चुकी है। वर्तमान में प्रतिदिन 200 से अधिक यात्री ट्रेनें और मालगाडिय़ां इस पुल से गुजरती हैं। उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि यह ब्रिज हावड़ा-दिल्ली रेलमार्ग पर है। इस पुल से रोजाना दो सौ से अधिक पैसेंजर और मालगाडिय़ां गुजरती हैं। कुंभ 2019 के दौरान एलईडी और फसाड लाइट से पुल को सुसज्जित भी किया गया था। पुल मजबूत व सुरक्षित है।

हाथी पांव वाले हैं इसके पिलर

यह दो मंजिला पुल ठोस लोहे का बना है। 3150 फीट लंबे और 14 पिलर पर बने इस पुल की खास बात यह है कि इसके एक पिलर की डिजाइन हाथी के पांव जैसी है। पुल में कुल 17 स्पैन हैं जिसमें 14 स्पैन 61 मीटर, 02 स्पैन 12.20 मीटर तथा एक स्पैन 9.18 मीटर लंबा है जो इसको मजबूती व स्थिरता देते हैं। पिलर की ऊंचाई 67 फीट एवं चौड़ाई 17 फीट है। सभी पिलर के नींव की गहराई 42 फीट है। निम्न जलस्तर से गर्डर के नीचे की ऊंचाई तकरीबन 58.75 फीट है। पुल में लगाए गए गर्डर का वजन लगभग 43 सौ टन है। पुल में लगभग 30 लाख क्यूबिक ईंट एवं गारा का प्रयोग हुआ है।

नियमित रखरखाव

वर्ष 1913 में इसे डबल लाइन में परिवर्तित किया गया तथा 1928-29 में पुराने गर्डरों को बदलकर नए गर्डर लगाए गए। वर्ष 2007 में पुल के ट्रैक पर लगे लकड़ी के स्लीपर की जगह स्टील के बने स्लीपर लगाए गए जिससे पुल पर गाडिय़ों की गति को बढ़ाने के साथ गाडिय़ों के गुजरने समय पुल पर होने वाले कंपन को कम करने में मदद मिली। इसकी सुरक्षा और संरक्षा के लिए सतत निगरानी भी की जाती है।

बाढ़ में भी नहीं डिगा

प्रयागराज में वर्ष 1978 में भीषण बाढ़ आई थी जिस कारण शहर का अधिकांश हिस्सा जलमग्न हो गया था। यमुना की तेज लहरें पुल के पिलर से टकराकर भय उत्पन्न कर रही थीं, लेकिन पुल मजबूती के साथ खड़ा रहा और उस दौरान भी ट्रेनों का संचालन निर्बाध व नियमित रूप से जारी रहा।

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