Ganga-Yamuna Flood: प्रयागराज में 24 घंटे में 50 सेमी घटा जलस्तर, अभी भी खतरे के निशान से ऊपर हैं नदियां
Ganga-Yamuna Flood प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का खतरे का निशान 84.73 मीटर है। दोनों नदियों का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान के ऊपर है। हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि अगर ऐसे ही पानी कम होता रहा तो शनिवार तक जलस्तर खतरे निशान से नीचे होगा।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। गंगा-यमुना की बाढ़ की दंश सह रहे लाेगों के लिए अच्छी खबर है। प्रयागराज में दोनों नदियों का जलस्तर कम हो रहा है। पिछले 24 घंटे में गंगा और यमुना का जलस्तर आधा मीटर से अधिक यानी करीब 50 सेमी घट गया है। जलस्तर तो लगातार कम हो रहा है लेकिन अभी मुसीबत नहीं दूर हुई है। ऐसा इसलिए कि अभी भी गंगा और यमुना का पानी खतरे के निशान से ऊपर ही बह रहा है। इससे तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों में दहशत कायम है। मोहल्ले और गांव के साथ खेतों में पानी भरा हुआ है। बाढ़ ग्रस्त इलाकाें में एनडीआरएफ, जल पुलिस समेत प्रशासन अलर्ट है। राहत सामग्री भी लोगों में वितरित की जा रही है।
इन आंकड़ों पर डालें नजर
- 07 तहसीलों में बाढ़ का असर
- 1159 परिवारों ने शिविरों में ली शरण
- 4930 लोग अपने शहर में हुए शरणार्थी
- 129 नाव लगाई गई शहर में
- 138 नाव लगाई गई गांव में
- 20 मोहल्ले शहर के प्रभावित
- 78 गांवों में घुसा पानी।
प्रयागराज में नदियों का खतरा निशान 84.73 मीटर है
प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का खतरे का निशान 84.73 मीटर है। दोनों नदियों का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान के ऊपर है। हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि अगर इसी गति से पानी कम होता रहा तो शनिवार तक खतरे के निशान से नीचे जलस्तर हो जाएगा। उधर जिन इलाकों के घरों में पानी भर गया था, वहां गंदगी का आलम है। पानी घटने पर वहां दुर्गंध भी लोगों को परेशान करेगी। शुक्रवार की सुबह 10 बजे फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 85.47 मीटर और छतनाग में 84.55 मीटर था। यमुना नदी का नैनी में 85.25 मीटर था। गुरुवार की शाम छह बजे फाफामऊ में गंगा 85.89 मीटर, छतनाग में 85.05 मीटर और यमुना का नैनी में 85.80 मीटर पर जलस्तर था।
जलस्तर का रिकार्ड
- 88 मीटर जलस्तर हुआ था 1988 में
- 86.82 मीटर था 26 अगस्त 2013 को
- 86.29 मीटर था 24 अगस्त 2016 को
- 86.09 मीटर 12 अगस्त 2021
- 85.78 मीटर था 22 सितंबर 2019 को।
दो सप्ताह से बाढ़ का दंश झेल रहे संगम नगरी वासी
गंगा और यमुना नदी से तीनों से घिरी संगम नगरी के लोग पिछले दो हफ्ते से बाढ़ का दंश झेल रहे हैैं। यमुना में राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुई बारिश का पानी आया तो यहां मुसीबत बढ़ गई। आबादी क्षेत्र में करीब एक किलोमीटर अंदर तक पानी भर गया है। गुरुवार से जलस्तर घटने लगा लेकिन मुसीबत कम नहीं हो रही है। एडीएम एफआर एमपी सिंह ने बताया कि तेजी से जलस्तर गिरने लगा है। पिछले दिनों धौलापुर और माता टीला बैराज से छोड़ा गया पानी गुजर गया है। जल्द ही लोगों को राहत मिलेगी। फिलहाल अभी शहर के 20 मोहल्ले और छह तहसीलों के 78 गांवों में बाढ़ का पानी भर हुआ है। बाढ़ के चलते हजारों लोग बेघर हुए हैं। वहीं प्रशासन की ओर से बनाए गए शिविर में 4930 लोग शरण लिए हुए हैं।
बाढ़ पीडि़तों को निकालने के लिए लगाई 267 नाव
नदी किनारे बसे मोहल्ले दारागंज, बघाड़ा, बेली, राजापुर, सलोरी, बलुआघाट, कटघर, गऊघाट, मेंहदौरी, शिवकुटी, कोयला गली, रसूलाबाद, जोंधवल, करेंहदा, गड्ढा कालोनी, बाजूपुर, करैलाबाग, इस्लामनगर, बिसमिल्ला चौराहा, म्योराबाद, मैनापुर आदि पानी भर गया है। इन इलाकों से लोगों को निकालने के लिए 129 नाव लगाई गई हैं। इसके अलावा मझियारी, पूरे किन्नर, चिल्ला गौहानी, कंजासा, बढ़ौली, लाक्षागृह, कंदला मवैया, गनेशीपुर, फूलपुर, करछना, सोरांव 138 नाव लगाई गई हैं।