Ganga-Yamuna Flood: प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियां उफान पर, जानें खतरे के निशान से कितना कम है पानी

Ganga-Yamuna Flood गंगा और यमुना में जलस्तर लगातार बढ़ने का कारण पहाड़ पर हो रही बारिश और हरिद्वार नरौरा और कानपुर बैराज से लगातार पानी छोड़ा जाना है। इसका असर संगम में दिख रहा है। जलस्तर बढऩे पर नदी किनारे की फसलें डूब गई हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 05:07 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 05:07 PM (IST)
Ganga-Yamuna Flood: प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियां उफान पर, जानें खतरे के निशान से कितना कम है पानी
प्रयागराज में गंगा-यमुना नदियों का लगातार जलस्‍तर बढ़ रहा है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा और यमुना नदियों का जलस्‍तर बढ़ने लगा है। प्रयागराज में भी पिछले छह दिनों से लगातार गंगा-यमुना का पानी बढ़ रहा है। हालांकि बढ़ने की स्‍पीड धीरे ही है लेकिन लगातार जलस्तर बढ़ने से खतरे का संकेत भी दे रहा है। प्रशासन ने दोनों नदियों के किनारे बसी बस्तियों के लोगों को अलर्ट रहने को कहा है।

गंगा-यमुना का जलस्‍तर (30 जुलाई)

- फाफामऊ : 78.73 मीटर

- छतनाग : 75.70 मीटर

- नैनी : 76.10 मीटर

गंगा-यमुना का जलस्‍तर (29 जुलाई)

- फाफामऊ : 78.61 मीटर

- छतनाग : 75.60 मीटर

- नैनी : 76.14 मीटर

खतरे का निशान : 84.73 मीटर।

गंगा-यमुना नदियों का बढ़ा प्रवाह

गंगा और यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। दोनों नदियों में पानी बहाव तेज हो गया है। गुरुवार को डेढ़ सेंटीमीटर की गति से दिनभर पानी का जलस्तर बढ़ा। संगम में दोनों तरफ पानी आ रहा है। इसलिए वहां पर जलस्तर तेजी से बढ़ा है। यही हाल शुक्रवार को भी रहा। पानी बढऩे पर उस क्षेत्र में नावों का भी आवागमन रोक दिया गया है। संगम स्नान करने आने वालों को भी उधर नहीं जाने दिया जा रहा है।

पहाड़ की बारिश व बैराज से पानी छोड़ा जाना है

गंगा और यमुना में जलस्तर लगातार बढ़ने का कारण पहाड़ पर हो रही बारिश और हरिद्वार, नरौरा और कानपुर बैराज से लगातार पानी छोड़ा जाना है। कानपुर बैराज से गुरुवार की सुबह से 1.94 लाख क्यूसिक पानी प्रति सेकंड छोड़ा जा रहा है। इसका असर संगम में दिख रहा है। जलस्तर बढऩे पर नदी किनारे की फसलें डूब गई हैं। सब्जी की फसलें पहले ही जलमग्न हो चुकी है। दूसरी ओर यमुना में औरेया, बांदा, हमीरपुर आदि से पानी आ रहा है। इसमें मध्य प्रदेश की नदियों का भी पानी आता है। इसलिए यह भी उफान है।

अभी और बढ़ेगा जलस्तर

फिलहाल यहां पर खतरे का निशान 84.73 मीटर है। गुरुवार की रात आठ बजे तक फाफामऊ में जलस्तर 78.61 मीटर, छतनाग में 75.60 मीटर और नैनी में 76.14 मीटर दर्ज किया गया। बाढ़ खंड अधिशासी अभियंता ब्रजेश कुमार ने बताया कि पहाड़ पर बारिश के चलते यहां पर पानी बढ़ा है। हर साल यहां पर अगस्त और सितंबर में बाढ़ आती है। अभी बाढ़ की शुरुआत है। आने वाले दिनों में पानी और बढऩे के आसार है। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने लोगों के बचाव की तैयारी कर ली है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी कमेटी बन गई है। बाढ़ का खतरा बढ़ते ही यह बचाव कार्य में जुट जाएंगे।

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