रोग और शोक से मुक्ति दिलाएगा गंगा दशहरा, ग्रह-नक्षत्रों की अद्भुत जुगलबंदी श्रद्धालुओं के लिए कल्याणकारी

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि जेष्ठ शुक्लपक्ष दशमी तिथि पर महाराज भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। स्कंद पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी है। इसमें स्नान-दान का विशेष महत्व है

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 11:23 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 11:23 AM (IST)
रोग और शोक से मुक्ति दिलाएगा गंगा दशहरा,  ग्रह-नक्षत्रों की अद्भुत जुगलबंदी श्रद्धालुओं के लिए कल्याणकारी
मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण दिवस गंगा दशहरा श्रद्धालुओं की समस्त कामना को पूर्ण करने वाला होगा।

प्रयागराज, जेएनएन। मोक्षदायिनी मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण दिवस गंगा दशहरा श्रद्धालुओं की समस्त कामना को पूर्ण करने वाला होगा। जेष्ठ शुक्लपक्ष दशमी तिथि रविवार को पड़ रहे गंगा दशहरा पर ग्रह-नक्षत्रों की अद्भुत जुगलबंदी श्रद्धालुओं के लिए कल्याणकारी है। सच्चे हृदय से गंगा में डुबकी लगाकर स्नान-दान करने से मनुष्य को वाणी, कर्म व विचार से हुए पापों से मुक्ति मिल जाएगी। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि दशमी तिथि शनिवार की दोपहर 2.09 बजे लगकर रविवार की दोपहर 12.02 बजे तक रहेगी। मिथुन राशि में सूर्य व शुक्र तथा वृष राशि में बुध व राहु ग्रह का संचरण होगा। वहीं, दोपहर 3.27 बजे तक चित्रा नक्षत्र, परिघ योग है। इस संयोग से समाज में अनुकूलता का वातावरण बनेगा। रोग व शोक का प्रभाव कम होगा।

दस पापों से मिलेगी मुक्ति

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि जेष्ठ शुक्लपक्ष दशमी तिथि पर महाराज भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। स्कंद पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी है। इसमें स्नान-दान का विशेष महत्व है। लेकिन, गंगा में शरीर की स्वच्छता से स्नान करने जाना चाहिए। भविष्य पुराण के अनुसार जो मनुष्य गंगा दशहरा पर गंगा जल में खड़ा होकर 'ऊं श्री गंगे नम: का उच्चारण करते हुए सूर्य व मां गंगा को अघ्र्य देता है उसकी कामना व्यर्थ नहीं जाती।

गंगा में इसका करें प्रायश्चित

आचार्य विद्याकांत बताते हैं कि गंगा में स्नान करने से पहले अपनी गलतियों का प्रायश्चित करना चाहिए। इसमें जबरन किसी वस्तु को लेना, कटुवचन का प्रयोग, असत्य बोलना, असंबद्ध प्रलाप, दूसरे की संपत्ति हड़पने की इच्छा रखना, किसी की शिकायत करना, दूसरे को हानि पहुंचाने सहित समस्त गलतियों का स्मरण करके क्षमा मांगते हुए उसे दोबारा न करने का संकल्प लेकर गंगा में स्नान करना चाहिए।

इसका करें दान

गंगा दशहरा पर जल भरा घड़ा, छाता, मिष्ठान, फल, तिल आदि का दान कल्याणकारी होता है। इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को भोजन जरूर कराना चाहिए।

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