'गंगा जीवियों' को दे रहे सुखद जीवन का मंत्र, Prayagraj News

संगठन ने गंगा और अन्य नदियों के किनारे रहने वाले ऐसे लोगों को प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाया है जिनके जीवन का आधार नदियां हैं यथा तीर्थ पुरोहित नाविक माली और मछुआरे। इन्हें इनके पारंपरिक व्यवसाय में बेहतरी का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 03:22 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 03:22 PM (IST)
'गंगा जीवियों' को दे रहे सुखद जीवन का मंत्र,  Prayagraj News
ऐसे लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। जिनके जीवन का आधार नदियां हैं जैसे तीर्थ पुरोहित, नाविक, माली और मछुआरे।

प्रयागराज, [अमलेंदु त्रिपाठी]। तीर्थराज प्रयाग से एक और सकारात्मक योजना शुरू हुई है। यहां गंगा जीवियों को सुखद जीवन का मंत्र मिलेगा। यह पहल है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषांगिक संगठन गंगा समग्र की।  संगठन ने गंगा और अन्य नदियों के किनारे रहने वाले ऐसे लोगों को प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाया है जिनके जीवन का आधार नदियां हैं यथा, तीर्थ पुरोहित, नाविक, माली और मछुआरे। इन्हें इनके पारंपरिक व्यवसाय में बेहतरी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

काशी प्रांत के तीर्थ पुरोहित प्रमुख आचार्य जितेंद्र गौड़ बताते हैैं कि पहले चरण में तीर्थ पुरोहितों को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। प्रयागराज स्थित पांच केंद्रों तेलियरगंज, दारागंज, कीडगंज, मालवीय नगर, नैनी के अरैल तट पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। माघ मेले के दौरान संगम तट पर भी जाकर तीर्थ पुरोहितों को उनके कर्मकांड संबंधी गतिविधियों को देखकर जरूरी सुझाव और अभ्यास कराए जा रहे हैं।

मिल रही कर्मकांड की शिक्षा

तीर्थ पुरोहितों के प्रशिक्षण में लगे नैनी के हरवेंद्र पुरी गोस्वामी के मुताबिक केंद्र में संस्कृत की शिक्षा दी जाती है। पुरोहित अथवा उनके पाल्य जो कर्मकांड सीखना चाहते हैं उन्हें आसन पर बैठने के तरीके बताए जाते हैं। शुद्धि मंत्र व यज्ञोपवीत आदि को शुद्ध करना बताया जाता है। गणपति पूजन, रुद्री पाठ, शिव अभिषेक, स्तुति आदि की जानकारी दी जाती है। वेद की कुछ महत्वपूर्ण ऋचाएं व व्यवहार में आने वाले कर्मकांडों को भी बताया जाएगा।

मंत्रोच्चार की शुद्धता पर जोर

अभियान में सहयोग दे रहे रहे सोमेश्वर महादेव मंदिर अरैल के पुरोहित हरवेंद्र पुरी गोश्वामी व महर्षि आश्रम अरैल के पुजारी पंकज पांडेय कहते हैंं कि प्रशिक्षण के दौरान मंत्रोच्चार की शुद्धता पर जोर रहता है। उसका अर्थ भी समझाया जा रहा है। ऐसा इसलिए है कि भाव के साथ पढ़े गए मंत्र ही प्रभावी होते हैं। प्रशिक्षु को एक वर्ष तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। उनसे इसका कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाएगी

प्रशिक्षु तीर्थ पुरोहितों को पारंपरिक ज्ञान के साथ प्रशिक्षण अवधि मेें कंप्यूटर ज्ञान दिया जाएगा, ताकि वह खुद को अपडेट रख सकें। कंप्यूटर का प्रशिक्षण तीर्थपुरोहितों संग अन्य गंगा जीवियों को भी मिलेगा। फिलहाल 17 स्नान घाटों के इर्द गिर्द रहने वाले तीन सौ लोगों का चयन प्रशिक्षण के लिए किया गया है।

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