संगमनगरी का गलवन स्मारक राष्ट्र को समर्पित, बलिदानी नायक दीपक की पत्नी रेखा ने काटा फीता
कर्नल संतोष बाबू की अगुवाई में 20 बहादुर सैनिकों को सर्वोच्च बलिदान देना पड़ा। स्मारक का उद्घाटन करने पहुंचीं नायक दीपक की पत्नी रेखा की आंखें नम थीं। पति की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए वह भावुक हो गई।
प्रयागराज, जेएनएन। तीर्थराज के रूप में ख्यात संगमनगरी मंगलवार शाम देश प्रेम का भी तीर्थ बन गई। यहां पूर्व यूपी एमपी सब एरिया मुख्यालय परिसर में बनाया गया गलवन स्मारक राष्ट्र को समर्पित किया गया। बीते वर्ष 15-16 जून की रात लद्दाख की गलवन घाटी में चीनी सैनिकों से हुई झड़प में वीरगति प्राप्त 20 रणबांकुरों की आदमकद प्रतिमाएं देश के लिए मरने मिटने की प्रेरणा देती दिखी। बिहार रेजीमेंट में नायक रीवा के फरेंदा गांव निवासी बलिदानी दीपक की कुमार की पत्नी रेखा सिंह ने फीता काटा तो हर आंख नम हो गई।
150 गुणे 100 फीट क्षेत्रफल में तैयार स्मारक के बीच बनाई गई गलवन विक्ट्री वाल पर झड़प की कहानी दर्शायी गई है। बताया गया है कि चीनी सैनिकों ने तार लगे लाठी-डंडों से हमारे निहत्थे जवानों पर हमला बोला लेकिन हमारे सैनिकों ने निहत्थे ही लड़ कर दुश्मन को धूल चटा दी। इसमें कर्नल संतोष बाबू की अगुवाई में 20 बहादुर सैनिकों को सर्वोच्च बलिदान देना पड़ा।
मौजूद थे 16 बिहार रेजीमेंट के जवान
गलवन घाटी में 16 बिहार रेजीमेंट के 12 फौजी शहीद हुए थे। इस रेजीमेंट के कुछ जवान भी समारोह में थे। कोरोना के चलते सभी बलिदानियों के परिवार वालों को नहीं बुलाया गया। रीवा से नायक दीपक की पत्नी, पिता और भाई ही आए थे। इसके अलावा 81 फील्ड रेजीमेंट के जवान भी थे।
इन बलिदानियों की लगी है प्रतिमा
कर्नल संतोष बाबू, हवलदार सुनील कुमार, नायब सुबेदार नुदुराम सोरेन, नायक दीपक कुमार, सिपाही चंद्रकांत प्रधान, कुंदन कुमार ओझा, गणेश हंसदा, कुंदन कुमार यादव, राजेश ओरंग, चंदन कुमार, गणेश राम, अमन कुमार, 03 पंजाब रेजीमेंट के सिपाही गुरुतेज सिंह, अंकुश ठाकुर, गुरुबिंदर सिंह, 03 आर्टिलरी रेजीमेंट के नायब सुबेदार सतनाम सिंह, मंदीप सिंह, 81 फील्ड रेजीमेंट के हवलदार के पिलानी, 81 आम्र्ड के हवलदार विपुल राय और 12 बिहार रेजीमेंट के जय किशोर सिंह।