चंद्रशेखर आजाद आते थे यहां, प्रतापगढ़ के सराय मतुई नमक शायर से जुड़ी हैं उनकी यादें

यह स्थान उनके लिए काफी मुफीद रहा। बगल में सई नदी बहती है कभी अंग्रेज सैनिक आते तो भनक लगने पर क्रांतिकारी उनके पहुंचने के पहले ही सई में कूद कर उस पार चले जाते। ऐसे में अंग्रेज सैनिक कभी क्रांतिकारियों को पकड़ जाने में कामयाब नहीं हो पाते थे।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 06:50 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 07:43 AM (IST)
चंद्रशेखर आजाद आते थे यहां, प्रतापगढ़ के सराय मतुई नमक शायर से जुड़ी हैं उनकी यादें
साथियों के साथ यहां लेते थे शरण, बनाते थे आजादी की योजनाएं

प्रतापगढ़, रमेश त्रिपाठी। देश की आजादी के आंदोलन के समय महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जिले के सराय मतुई नमक शायर गांव में रुका करते थे। यहां वह देश को आजाद कराने के ताने-बाने बुना करते थे। यहां मथुरा प्रसाद सिंह की वह हवेली आज भी है, जहां चंद्रशेखर आजाद अपने साथियों के साथ रहकर प्रिंटिग प्रेस चलाते थे और अंग्रेजं से मुकाबले के लिए विस्फोटक तैयार करते थे।

अंग्रेज सैनिक आते तो नदी पार चले जाते थे क्रांतिकारी

सदर विकास खंड के सराय मतुई नमक शायर गांव में देश की आजादी के आंदोलन के दौरान मथुरा प्रसाद सिंह के घर में क्रांतिकारी एकत्र होते थे। यहीं से देश को आजाद कराने की रणनीति गढ़ी जाती। यह स्थान प्राकृतिक दृष्टि से भी उनके लिए काफी मुफीद रहा। बगल में सई नदी बहती है, जब कभी अंग्रेज सैनिकों को इनकी भनक लगती तो क्रांतिकारी उनके पहुंचने के पहले ही सई में कूद कर उस पार चले जाते। ऐसे में अंग्रेज सैनिक कभी क्रांतिकारियों को पकड़ जाने में कामयाब नहीं हो पाते थे।

पैसे लेने है लेकिन बदसलूकी और कत्ल नहीं

पैसे की कमी होने पर चंद्रशेखर आजाद ने राम प्रसाद बिस्मिल सहित अन्य साथियों के साथ प्रतापगढ़ जिले के कर्माजीतपुर द्वारिकापुर में शिवरतन बनिया के घर डकैती डाली थी। पं. राम प्रसाद बिस्मिल, आजाद और बाकी साथी गांव की तरफ निकले। बिस्मिल ने साफ निर्देश दिया था कि उनका मकसद केवल पैसा लूटना है, किसी की हत्या करना नहीं। उन्होंने यह भी कहा था किसी महिला के साथ बदसलूकी नहीं करनी है। बिस्मिल पिस्टल लेकर बनिया के घर के बाहर पहरेदारी करने लगे। बताते हैं कि क्रांतिकारी अंदर घुसे तो एक महिला ने चंद्रशेखर आजाद के हाथों से पिस्टल छीन ली। यहां से लोगों को बिना लूट किए वापस लौटना पड़ा। बाद में गांव के ही आजाद के एक साथी ने उनकी पिस्टल महिला से वापस दिला दी थी।

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