कौशांबी में बसपा को बड़ा झटका, पूर्व जिला पंचायत अध्‍यक्ष राजेश कुशवाहा ने छोड़ी पार्टी, सपा का थाम सकते हैं दामन

बसपा में रहते हुए दो बार ग्राम पंचायत में प्रधान रहने के बाद वर्ष 2010 में जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ा। उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। इसके बावजूद उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जीता।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 07:04 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 07:04 PM (IST)
कौशांबी में बसपा को बड़ा झटका, पूर्व जिला पंचायत अध्‍यक्ष राजेश कुशवाहा ने छोड़ी पार्टी, सपा का थाम सकते हैं दामन
वर्ष 2010 में निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष रहे राजेश कुशवाहा ने शुक्रवार को बसपा से इस्तीफा दे दिया।

प्रयागराज,जेएनएन। बसपा में करीब 30 साल तक रहने के दौरान वर्ष 2010 में निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष रहे राजेश कुशवाहा ने शुक्रवार को बसपा की नीतियों से दुखी होकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। फिलहाल उन्होंने अभी तक किसी पार्टी को ज्वाइन नहीं किया है। उनका साफ कहना है कि जहां सम्मान मिलेगा। आने वाले दिनों में वह उस दल के साथ रहेंगे। अपने तमाम समर्थकों के साथ उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस कर पार्टी छोडऩे की घोषणा की है।

सपा सरकार में भी बसपा को दिलाई थी जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत

जिले में बहुजन समाज पार्टी को पहचान दिलाने के लिए फाउंडर सदस्य के रूप में रहे राजेश कुशवाहा ने शुक्रवार को समर्थकों के साथ मीडिया कर्मियों से रूबरू हुए। उन्होंने बताया कि बसपा पार्टी के लिए उन्होंने राजनैतिक गलियारे में एक अलग पहचान बनाई है। बसपा में रहते हुए दो बार ग्राम पंचायत में प्रधान रहने के बाद वर्ष 2010 में जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ा। उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। इसके बावजूद उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जीता। इसके बाद सरकार बदली तो सपा सत्ता में आई। कुछ दिनों बाद राजेश कुशवाहा के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। उन्होंने दोबारा विश्वास मत हासिल करते हुए प्रदेश में अकेले बसपा से जिला पंचायत अध्यक्ष रहने का गौरव पाया। राजेश कुशवाहा ने बसपा से विधान सभा का भी टिकट मांगा। उन्होंने खुले लफ्जों में कहा कि वह बसपा की गलत नीतियों के चलते कार्यकर्ताओं व पुराने नेताओं का कोई सम्मान नहीं है। इसके बाद भी राजेश बसपा से जुड़े रहे।

11 बार लोकसभा व विधान सभा व अन्य चुनाव का कर चुके हैं संचालन

इन्होंने 11 बार विधान सभा व लोक सभा समेत अन्य चुनाव का संचालन किया। उनका आरोप है कि इन दिनों पार्टी अपनी मूल नीतियों से भटक गई है। ऐसे में उन्होंने पार्टी छोडऩे का फैसला कर लिया। शुक्रवार को तमाम समर्थकों के साथ उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। राजेश कुशवाहा की का कहना है कि अब तक उन्होंने किसी पार्टी की सदस्यता नहीं ली है, लेकिन यदि किसी ने सम्मान दिया तो वह अन्य किसी दल में जा सकते हैं।

सपा में जाने की संभावना

बसपा में रहते हुए राजेश कुशवाहा पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज के नजदीक आ चुके थे। वह अब भी इंद्रजीत सरोज से बड़े भाई व छोटे भाई के रिश्ता होने की बात करते हैं। माना जा रहा है कि वह अपनी पुरानी मित्रता को निभाते हुए पूर्व मंत्री व सपा महासचिव इंद्रजीत सरोज के साथ ही आने वाले दिनों में नजर आएंगे।

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