Former PM VP Singh Birth Anniversary: सात कुओं वाली मांडा कोठी आज याद कर रही अंतिम 'राजा' को

देश के सातवें प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह आज होते तो 90 बरस के होते। अब वह नहीं हैैं बस यादें हैैं उनकी। तकरीबन पांच सौ साल पुरानी राजस्थानी स्थापत्य कला की गवाही देती मांडा कोठी के व्यवस्थापक सुशील सिंह कहते हैैं कि उनकी सादगी कभी नहीं भूलती।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 09:59 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 04:15 PM (IST)
Former PM VP Singh Birth Anniversary:  सात कुओं वाली मांडा कोठी आज याद कर रही अंतिम 'राजा' को
देश के सातवें प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह आज होते तो 90 बरस के होते।

प्रयागराज, [सुरेश पांडेय]। सात कुओं, सात आंगन वाली ऐतिहासिक मांडा कोठी 25 जून शुक्रवार को अपने आखिरी राजा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को याद करेगी। दरअसल इसी तारीख को उनकी जन्मतिथि है, इसलिए मांडा के लोग अपने राजा की सादगी का स्मरण करेंगे। कोठी से करीब एक किलोमीटर दूर मांडवी देवी के मंदिर के सामने उनकी उस प्रतिमा पर माला पहनाई जाएगी जो आमतौर पर सुनसान रहती है। परिवार का कौन सदस्य इस समय यहां रहेगा, यह गुरुवार शाम तक तय नहीं था। वीपी सिंह का जन्म 25 जून 1931 को हुआ था। उनका निधन 27 नवंबर 2008 को हुआ।

देश के सातवें प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह आज होते तो 90 बरस के होते

देश के सातवें प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह आज होते तो 90 बरस के होते। अब वह नहीं हैैं, बस यादें हैैं उनकी। तकरीबन पांच सौ साल पुरानी राजस्थानी स्थापत्य कला की गवाही देती मांडा कोठी के व्यवस्थापक सुशील सिंह कहते हैैं कि उनकी सादगी कभी नहीं भूलती। लगभग 16-17 बीघे में फैली कोठी के सामने का हिस्सा ही अब पुरानी भव्यता बताता है। वैसे बहुत कुछ है यहां। रामजानकी मंदिर का सवा मन सोने का कलश चौंकाता है। आधा किमी दूर मल्हिया तालाब गहरवार वंश के राजाओं की जल के प्रति प्रेम की गवाही देता है। लगभग 85 बीघे में फैले इस तालाब की छटा बारिश में हरियाली के बीच खिल उठती है। गुरुवार दोपहर हरगढ़ जिगना मीरजापुर से आए एजाज अहमद, मुमताज, माजिद आलम व रिजवान अली इस कोठी की भव्यता के साथ सेल्फी ले रहे थे। पूछने पर इतना ही कहा कि राजा मांडा की कोठी है, आज मौका मिला है देखना का।

राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है

कांग्रेस से बगावत के बाद राजा मांडा ने वर्ष 1988 में हुए उपचुनाव में निर्दल प्रत्याशी के रूप में इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से ताल ठोंकी थी। मुकाबले में थे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री। राजा मांडा के पड़ोसी भी हैैं वह। उनका निवास ठीक कोठी से सटा है। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इस उपचुनाव में बुलेट पर पीछे बैठ कर जनसंपर्क किया था। देश ही नहीं विदेश में सुर्खी बटोरी थी। नारा लगता था -राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है। फकीर ही तो थे वह। इसीलिए उनकी कोठी तक जाने वाली सड़क अब भी बदहाल है। कस्बे के लोग बताते हैं कि जितने दिनों तक वह मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री रहे, कोठी में कभी नहीं आए। कहते थे जितना संभव है दूसरों का दर्द बांटा जाय।

कोई मुझे मास्टर साहब कहे तो अच्छा लगता है

पूर्व प्रधानमंत्री ने कोरांव में गोपाल इंटर कालेज की स्थापना कराई थी। बीए, बीएससी, एलएलबी उपाधि धारक पूर्व प्रधानमंत्री ने यहां कई सालों तक शिक्षक के रूप में साइंस पढ़ाई थी। राजनीति ने अध्यापन छुड़वा दिया। बाद के दिनों में कई बार कहा-जब मुझे कोई मास्टर साहब कहकर संबोधित करता है तो प्रसन्नता होती है।

छुपकर मिलते थे बड़े भाई सीएसपी सिंह

विश्वनाथ प्रताप सिंह, राजा बहादुर रामगोपाल सिंह की दत्तक संतान थे। उन्हें डैय्या स्टेट के राजा भगवती प्रसाद सिंह से तब गोद लिया गया था जब वह सात साल के थे। राजा रामगोपाल ने डैय्या परिवार के किसी भी व्यक्ति से उनकी मुलाकात पर पाबंदी लगा थी। विश्वनाथ प्रताप सिंह शुरुआती शिक्षा के दौर में जब बीएचएस के छात्र थे। उनके बड़े भाई सीएसपी सिंह (चंद्रशेखर प्रसाद सिंह) जो बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस भी बने, वहां पहुंचते थे। टाफी देकर बताते थे कि मैैं तुम्हारा बड़ा भाई हूं। यह बात रामगोपाल सिंह को पता चली तो उन्होंने विश्वनाथ प्रताप का दाखिला वाराणसी के उदयप्रताप कालेज में करवा दिया। अनगिनत यादें हैैं मांडा स्टेट के आखिरी राजा की, कितनी गिनाई जाय।

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