Aodhya SriRam Mandir आंदोलन से पूर्व सांसद श्यामाचरण गुप्त का गहरा नाता था, जानें- कारसेवकों की कैसे की थी मदद

अयोध्‍या श्रीराम मंदिर आंदोलन से जुड़े व संघ के स्वयंसेवक उंचवागढ़ी निवासी अंशुमान सिंह बताते हैं कि पूर्व सांसद श्‍यामाचरण गुप्‍त स्वयं कारसेवकों की मदद करते थे। अपने प्रतिष्ठानों की गाडिय़ों से अनाज के बोरे भेजवाने के साथ ही खुद भी मौके पर जाकर व्यवस्था देखते थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 02:30 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 02:30 PM (IST)
Aodhya SriRam Mandir आंदोलन से पूर्व सांसद श्यामाचरण गुप्त का गहरा नाता था, जानें- कारसेवकों की कैसे की थी मदद
पूर्व सांसद श्‍यामाचरण गुप्‍त ने अयोध्‍या श्रीराम मंदिर आंदोलन से जुड़े कारसेवकों की मदद की थी।

1991 में इलाहाबाद संसदीय सीट से पहली बार मिला टिकट

2014 में भाजपा के टिकट पर बने थे इलाहाबाद के सांसद

प्रयागराज, जेएनएन। पूर्व सांसद श्यामाचरण गुप्त का अयोध्‍या श्रीराम मंदिर आंदोलन से भी जुड़ाव रहा है। जब जब कारसेवा हुई थी तो प्रयागराज में उन्होंने राम भक्तों की खुलकर मदद की। उनके रहने, खाने के साथ ही पानी आदि के पैकेट भी पूरे शहर में मुहैया कराया था।

भाजपा से भी उनका जुड़ाव लगातार बढ़ता गया 

अयोध्‍या श्रीराम मंदिर आंदोलन से जुड़े व संघ के स्वयंसेवक उंचवागढ़ी निवासी अंशुमान सिंह बताते हैं कि पूर्व सांसद श्‍यामाचरण गुप्‍त स्वयं कारसेवकों की मदद करते थे। अपने प्रतिष्ठानों की गाडिय़ों से अनाज के बोरे भेजवाने के साथ ही खुद भी मौके पर जाकर व्यवस्था देखते थे। लोगों की छोटी-छोटी जरूरतों को भी पूरा कराने के लिए लगे रहते थे। यही वजह रही कि भाजपा से भी उनका जुड़ाव लगातार बढ़ता गया।

2014 में इलाहाबाद लोक सभा सीट से सांसद हुए

श्यामाचरण गुप्त व्यापार जगत का बड़ा नाम होने के साथ ही दो बार सांसद भी रहे। 2004 में सपा के टिकट पर बांदा से सांसद बने। 2014 में इलाहाबाद लोक सभा सीट से सांसद हुए। भाजपा के टिकट पर उन्होंने जीत दर्ज की। उन्होंने सपा के कद्दावर नेता रेवतीरमण सिंह को शिकस्त दी थी। इससे पहले वह 1991 में भी भाजपा के टिकट पर इलाहाबाद से ताल ठोक चुके थे लेकिन मैदान मारने में असफल रहे।

भाजपा काशी क्षेत्र विधि प्रकोष्‍ठ के संयोजक ने यह कहा

भाजपा के काशी क्षेत्र के विधि प्रकोष्ठ के संयोजक देवेंद्र सिंह बताते हैं कि 2014 में उन्होंने श्यामा चरण गुप्त का चुनाव प्रबंधन का कार्य देखा था। वह बहुत ही मिलनसार और फक्कड़ मिजाज थे। हर किसी की समस्या को सुनते थे। किसी से भी कुछ भी कह देते थे। किसी की कही बात का मलाल भी नहीं रखते थे। पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी, पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल पं. केशरी नाथ त्रिपाठी, मेजा विधायक नीलम करवरिया, पूर्व उच्च शिक्षामंत्री नरेंद्र सिंह गौर से उनके अच्छे संबंध थे। डॉ. जोशी ने किसी भी प्रत्याशी का प्रचार 2014 में नहीं किया लेकिन श्यामा चरण गुप्त के पक्ष में चुनावी सभा की थी। सपा नेताओं से भी वह खुलकर मिलते थे। वास्तव में वह निजी संबंधों पर भरोसा रखते थे किसी पार्टी के दायरे में नहीं बंधे।

भाजपा में रहकर की सपा की तारीफ

कई ऐसे मौके आए जब सपा में रहकर भाजपा की और भाजपा में रहते हुए सपा की तारीफ की। 2014 में लोकसभा का टिकट मिला तो भाजपा के तमाम पदाधिकारी और मीडिया के लोग उनके निवास पर एकत्र थे। पूर्व महानगर अध्यक्ष शशिवाष्र्णेय भी वहीं थी। मीडिया से मुखातिब होकर उन्होंने कहा कि हमारी सपा सरकार बहुत अच्छा कार्य कर रही है। अचानक उन्हें ध्यान आया कि वह अब भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं तो साफ गोई से बोले क्या करें अब तक सपा में थे तो आदत बनी हुई है।

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