Shine City Fraud: न सही जांच की न गिरफ्तारी, सिविल लाइंस का पूर्व इंस्पेक्टर सस्पेंड

अरबों रुपये की ठगी करने वाली रियल एस्टेट कंपनी शाइन सिटी फ्राड केस में अब कई पुलिसवाले कार्रवाई की जद में आ गए हैं। मुकदमा लिखकर भी न तो जांच सही ढंग से की और न आरोपितों की गिरफ्तारी। पीड़ित गुहार लगाते रहे लेकिन आरोपितों को पकड़ा नहीं गया

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 11:44 AM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 11:44 AM (IST)
Shine City Fraud: न सही जांच की न गिरफ्तारी, सिविल लाइंस का पूर्व इंस्पेक्टर सस्पेंड
पुलिस ने मुकदमा लिखकर भी सीएमडी समेत कई आरोपितों की नहीं की थी गिरफ्तारी

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। यूपी समेत दूसरे राज्यों में भी अरबों रुपये की ठगी करने वाली रियल एस्टेट कंपनी शाइन सिटी फ्राड केस में अब  कई पुलिसवाले भी कार्रवाई की जद में आ गए हैं। मुकदमा लिखकर भी न तो जांच सही ढंग से की और न आरोपितों की गिरफ्तारी। पीड़ित गुहार लगाते रहे लेकिन आरोपितों को पकड़ा नहीं गया। विवेचना के पर्यवेक्षण में लापरवाही बरतने पर जहां तत्कालीन इंस्पेक्टर सिविल लाइंस रविंद्र प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया है, वहीं विवेचक दारोगा राजेश कुमार सिंह के खिलाफ निलंबन की रिपोर्ट जीआरपी को भेजी गई है। जल्द ही कुछ और पुलिसकर्मियों पर गाज गिरने की बात कही जा रही है।

पिछले साल लिखा गया था मुकदमा

सिविल लाइंस थाने में 30 सितंबर 2020 को सोहबतियाबाग जार्जटाउन निवासी प्रकाश चंद्र तिवारी ने शाइन सिटी के सीएमडी राशिद नसीम, उसके भाई एमडी आसिफ नसीम व मो. जसीम खां, नीरज श्रीवास्तव और जावेद इकबाल के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना, धमकी समेत अन्य आराेप में मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़ित का आरोप था कि कंपनी से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों अलग-अलग योजना के नाम पर 75 लाख रुपये की ठगी की। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके विवेचना तत्कालीन चौकी प्रभारी सिविल लाइंस राजेश कुमार सिह को सौंपी। मगर दो आरोपितों को छोड़कर पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी नहीं की। यह भी कहा जा रहा है कि इंस्पेक्टर रविंद्र प्रताप सिंह सिविल लाइंस थाने में करीब दो साल तक कार्यरत रहे, लेकिन उन्होंने कंपनी के धनाढ़्य व प्रभावशाली लोगों पर कार्रवाई करने में कोताही बरती। सीएमडी और एमडी सहित अन्य की गिरफ्तारी न कर आरोपितों को लाभ पहुुंचाया गया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सिविल लाइंस थाने में 2020 में शाइन सिटी के खिलाफ कई मुकदमे लिखे गए थे, जिसकी विवेचना बाद में क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दी गई थी। मगर आरोपितों पर सख्ती से कार्रवाई करने और विवेचना के निस्तारण में तत्कालीन इंस्पेक्टर और दारोगा ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके पीछे क्या वजह हो सकती है, इसको लेकर भी कई तरह की बातें कही जा रही है। कहा जा रहा है कि इस मामले में कुछ अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक भूमिका संदिग्ध और उन पर भी कार्रवाई हो सकती है क्योंकि मामले की जांच अब आर्थिक अपराध अन्घेषण संगठन (ईओडब्ल्यू) की टीम कर रही है और हाईकोर्ट की भी इसकी प्रगति पर नजर है।

मो. जसीम को पकड़ने के बाद छोड़ा था 

फरार चल रहे शाइन सिटी के एडिशनल डायरेक्टर मो. जसीम खां पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि नैनी निवासी जसीम को सिविल लाइंस पुलिस ने पकड़ा था, मगर बाद में छोड़ दिया  जबकि उसके खिलाफ पहले से मुकदमा दर्ज था। हालांकि इस तथ्य की पुष्टि आधिकारिक तौर पर नहीं हो रही है।

एसएसपी ने यह बताया

विवेचना के पर्यवेक्षण में उदासीनता बरतने पर इंस्पेक्टर को निलंबित किया गया है। तत्कालीन विवेचक का तबादला जीआरपी में हो गया है। उसके निलंबन के लिए भी रिपोर्ट भी जीआरपी को भेजी गई है।

- सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी, एसएसपी

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