सोमवती अमावस्या पर पति की दीर्घायु के लिए पीपल के लगाए फेरे, संगम में लगाई महिलाओं ने डुबकी
धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर व्रत व पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अबकी त्रिग्रहीय योग बनने से सोमवती अमावस्या का महत्व और बढ़ गया। इससे व्रती महिलाओं में उत्साह अधिक नजर आया।
प्रयागराज, जेएनएन। चैत्र कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि सोमवार को पडऩे के कारण सोमवती अमावस्या के रूप में मनाई गई। सुख-समृद्धि व पति की दीर्घायु के लिए सुहागिनों ने व्रत रखकर स्नान, दान व पूजन किया। संगम, गंगा और यमुना में डुबकी लगाकर भगवान विष्णु के स्वरूप पीपल के वृक्ष का पूजन करके परिक्रमा किया। संगम के अलावा गंगा के रामघाट, दारागंज, अक्षयवट, फाफामऊ, यमुना के गऊघाट, ककहरा घाट, सरस्वती घाट पर भोर से व्रती महिलाओं की भीड़ जुटने लगी। सूर्योदय के बाद स्नानार्थियों की संख्या काफी बढ़ गई। महिलाओं ने परिवार के संग स्नान करके सूर्यदेव को अघ्र्य दिया। घाट पर पूजन करके दान किया। इसके बाद पीपल के वृक्ष का विधि-विधान से पूजन किया।
त्रिग्रहीय योग बनने से सोमवती अमावस्या का महत्व बढ़ा
धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर व्रत व पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अबकी त्रिग्रहीय योग बनने से सोमवती अमावस्या का महत्व और बढ़ गया। इससे व्रती महिलाओं में उत्साह अधिक नजर आया। पीपल में दूध, पुष्प, अक्षत, चंदन अर्पित करके 'नमो भगवते वासुदेवाय का मन में जप करते हुए 108 बार परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटा। पूजन के चलते जिन मंदिरों में पीपल का वृक्ष था वहां महिलाओं की भीड़ अधिक रही।