प्रयागराज में Kumbh व Magh Mela के लिए Army से भूमि किराए पर नहीं लेनी होगी, जानें क्‍या है योजना

प्रयागराज में माघ मेला क्षेत्र की जमीन सेना से बदलने की तैयारी है। इसके लिए पैमाइश की गई है। योजना के मुताबिक सेना को इसके बदले कहीं और जमीन दे दी जाएगी। फिर इस जमीन पर जिला प्रशासन पूरी तरह से काबिज हो जाएगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 08:40 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 08:40 AM (IST)
प्रयागराज में Kumbh व Magh Mela के लिए Army से भूमि किराए पर नहीं लेनी होगी, जानें क्‍या है योजना
सेना की संगम क्षेत्र की जमीन प्रशासन लेगा। इसके बदले में इतनी ही भूमि सेना को अन्‍यत्र मिलेगी।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज के गंगा, यमुना और अदृश्‍य सरस्‍वती नदियों का संगम है। इसका महात्‍म्‍य सभी जानते हैं। संगम क्षेत्र की पावन भूमि पर प्रत्‍येक 12 वर्षों में कुंभ मेला, 6 वर्षों में अर्ध कुंभ मेला और प्रत्‍येक वर्ष माघ मेले का आयोजन एक माह के लिए किया जाता है। माघ माह में लगने वाले इन मेले में देश-विदेश से श्रद्धालुओं के साथ ही पर्यटक भी काफी संख्‍या में आते हैं। स्‍नानार्थियों और पर्यटकों की सुविधा के लिए प्रयागराज प्रशासन तंबुओं की नगरी बसाता है। जिस क्षेत्र में मेला बसाया जाता है वह रक्षा मंत्रालय की भूमि होती है। इसलिए हर बार प्रशासन इस जमीन को सेना से किराए पर लेता है। हालांकि अब व्‍यवस्‍था ऐसी हो रही है कि सेना से जमीन किराए पर न लेना पड़े। पढ़ें पूरी खबर और जानें क्‍या है पूरी योजना।

मेला क्षेत्र की भूमि सेना से बदलने की कवायद

माघ मेला क्षेत्र की जमीन सेना से बदलने की तैयारी है। इसके लिए पैमाइश की गई है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो सेना को इसके बदले कहीं और जमीन दे दी जाएगी। फिर इस जमीन पर जिला प्रशासन पूरी तरह से काबिज हो जाएगा। 

सेना की जमीन छह माह के लिए किराए पर लेता है प्रशासन

संगम किनारे पूरी जमीन सेना की है। इसी जमीन पर हर साल माघ मेला, अर्ध कुंभ और कुंभ मेला लगता है। मेले का आयोजन जिला प्रशासन करवाता है। मेले के लिए हर साल सेना से जमीन को किराए पर ली जाती है। करीब छह महीने तक यह जमीन मेला प्रशासन के पास रहती है, बाकी दिनों में सेना के पास। इसी परिसर में प्रशासन का मेला कार्यालय है। 

सेना ने इस बार पर जताई थी आपत्ति

मेला कार्यालय के बगल में 2019 अर्ध कुंभ के दौरान इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर (आइट्रिपलसी) जिला प्रशासन ने बनवा दिया। वहीं पुलिस का भी एक कार्यालय बनवा दिया। आइट्रिपलसी का शुभारंभ पीएम मोदी से करवा दिया था। बाद में सेना ने इस निर्माण पर आपत्ति जताई। आइट्रिपलसी तो आपसी समझौते से प्रशासन के पास है लेकिन पुलिस कार्यालय पर सेना ने ताला बंद कर दिया है। 

जिला प्रशासन ने लीज पर मांगी थी सेना की जमीन

उसके बाद जिला प्रशासन वह जमीन लीज पर मांग रहा है। जिला प्रशासन ने रक्षा मंत्रालय से मेला कार्यालय परिसर की जमीन लीज पर या स्थाई रूप से मांगा। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इतनी जमीन नहीं दी जा सकती हैं। लेना है तो संगम किनारे की पूरी जमीन ले लें, उसके बदले इतनी ही जमीन कहीं और दे दें। प्रशासन को मेला कराने के लिए हर साल करीब साढ़े चार सौ हेक्टेयर जमीन की जरूरत होती है और वहां पर सेना की साढ़े पांच सौ हेक्टेयर जमीन है। वहां पर रक्षा मंत्रालय के अधीन कुछ जमीन कैंटोनमेंट बोर्ड, कुछ जमीन डिफेंस स्टेट और कुछ जमीन पूर्व यूपी एमपी सब एरिया मुख्यालय की है। 

रक्षा मंत्रालय से आया पत्र

रक्षा मंत्रालय से पत्र आने के बाद प्रशासन और सेना के अफसर पिछले दिनों जमीन की पैमाइश किए। उसके बाद उसके रिकार्ड तलाशे जा रहे हैं। अगर सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में यह जमीन जिला प्रशासन के हवाले होगी और सेना को कहीं और जमीन दी जाएगी। अधि‍कारियों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय से पत्र आने के बाद पैमाइश कराई गई है। फिलहाल अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।

फंस सकता है पेच

जिला प्रशासन के पास जिले में इतनी ज्यादा जमीन एक स्थान पर कहीं नहीं है। सेना के अफसर अगर यहां की जमीन देगे तो वह इतनी ही जमीन दूसरी जगह लेंगे, जो आसान नहीं होगा।

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