प्रयागराज में बाढ़ ने बढ़ाई दुश्‍वारियां, जानें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की क्‍या है परेशानी

अशोक नगर के मऊ कछार पत्रकार कालोनी से लेकर राजापुर के पिछले हिस्से गंगा नगर तक लोगों की तकलीफें पहाड़ सरीखी हैं। किसी के घर छह से आठ फिट तक पानी में डूबे हैं किसी को सब्जी अनाज और पेयजल तक नाव से ढोने की मजबूरी है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 13 Aug 2021 05:04 PM (IST) Updated:Fri, 13 Aug 2021 05:04 PM (IST)
प्रयागराज में बाढ़ ने बढ़ाई दुश्‍वारियां, जानें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की क्‍या है परेशानी
प्रयागराज में गंगा-यमुना बाढ़ से प्रभावित इलाकों के लोग संकट में हैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज में भले ही गंगा और यमुना नदियों का जलस्‍तर कम होने लगा है। हालांकि अभी भी दोनों नदियां खतरे के निशान से ऊपर ही बह रही है। उधर बाढ़ग्रस्‍त इलाकों के लोग भी परेशानी में हैं। घरों की नींव पानी सोख रही है। दीवारें जर्जर हो रही हैं। घर के सदस्‍य पलायन कर गए हैं और बाढ़ राहत केंद्र में रह रहे हैं। घर में चोरी का डर है। मोटरसाइकिल पानी में डूबी है। बाढ़ लौटेगी तो घर में सांप बिच्छू निकलेंगे। हालांकि वे मजबूर हैं, कुछ कर नहीं सकते। यह उनका दर्द है जिन्‍हाेंने सस्ती जमीन लेकर कछार में घर बनवा लिए और हर साल बाढ़ की परेशानी झेलते हैं।

प्रत्‍येक वर्ष बाढ़ संकट का करना पड़ता है सामना

अशोक नगर के मऊ कछार, पत्रकार कालोनी से लेकर राजापुर के पिछले हिस्से गंगा नगर तक लोगों की तकलीफें पहाड़ सरीखी हैं। किसी के घर छह से आठ फिट तक पानी में डूबे हैं, किसी को सब्जी अनाज और पेयजल तक नाव से ढोने की मजबूरी है। करीब 200 मीटर दूर से कमर तक भरे पानी में चलकर आए मोहित ने कहा कि घर का अधिकांश सामान छत पर रखा है। बारिश होती है तो वह सामान भी भीग जाता है। छज्जे से नीचे झांकते जगदीश कुशवाहा ने कहा कि यहां वर्षों से रह रहे हैं, पानी तो हर साल आता है। चार दिनों की परेशानी है। शहर में जमीनों के दाम आसमान छूते हैं इसलिए यहीं घर बनवाकर रह रहे हैं।

कछार की बस्तियों में बाढ़ का पानी भरा है

गंगानगर कछार की अधिकांश बस्तियों की गलियों में पानी लबालब है। नाले के पानी से गंदगी है तो कहीं-कहीं घर की दीवारों के पीछे खाली पड़ी बड़ी जमीनों में जलभराव के साथ जबर्दस्त गंदगी है। इससे मच्छर भी खूब होते हैं और रात में कीड़े मकोड़े का भी खतरा बना रहता है। गुरुवार को कई लोगों ने नाव वालों को 50 रुपये देकर घर से सड़क तक का रास्ता नापा। बेली कछार में रहने वालों की तकलीफें भी कुछ इसी तरह से हैं। कई लोगों ने स्टैनली रोड किनारे स्थित महबूब अली इंटर कालेज के बाढ़ राहत केंद्र में शरण ले ली है। दिन और रात में एक बार नाव से परिवार के सदस्य अपने घर का चक्कर लगा आते हैं यह देखने के लिए कि घर के सामान सुरक्षित हैं या नहीं।

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