प्रयागराज में ​​​​राज्य विश्वविद्यालय के भवन निर्माण के लिए पांच करोड़ रुपये हुए स्वीकृत

कुलपति ने बताया कि राज्य विवि के नैनी स्थित परिसर में भवन निर्माण के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ था। किश्तों में अब तक 128 करोड़ रुपये रिलीज हुए हैं। शुक्रवार को पांच करोड़ रुपये को मंजूरी देते हुए शासनादेश जारी किया गया।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 10:44 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 10:44 PM (IST)
प्रयागराज में ​​​​राज्य विश्वविद्यालय के भवन निर्माण के लिए पांच करोड़ रुपये हुए स्वीकृत
भवन निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 के तहत प्रदान कर दी गई स्वीकृति

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय के भवन निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए पांच करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी गई। इस संबंध में शुक्रवार को शासनादेश भी जारी कर दिया गया। कुलपति प्रोफेसर अखिलेश सिंह ने बताया कि पारदर्शी तरीके से समय से कार्य कराया जाएगा।

200 करोड़ रुपये में अब तक 128 करोड़ मिले

कुलपति ने बताया कि राज्य विवि के नैनी स्थित परिसर में भवन निर्माण के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ था। किश्तों में अब तक 128 करोड़ रुपये रिलीज हुए हैं। शुक्रवार को पांच करोड़ रुपये को मंजूरी देते हुए शासनादेश जारी किया गया। शासनादेश में निर्देश दिए गए हैं कि स्वीकृत धनराशि का उपयोग उसी कार्य के लिए किया जाएगा, जिस कार्य हेतु धनराशि स्वीकृत की जा रही है। उपकरणों का क्रय सुसंगत नियमों एवं शासनादेशों के अनुसार समस्त औपचारिकताओं की पूॢत करते हुए किया जाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रायोजना अंतर्गत प्रस्तावित कार्यों की डुप्लीकेसी को रोकने की दृष्टि से प्रायोजना की स्वीकृति से पूर्व विभाग द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि यह कार्य पूर्व में किसी अन्य योजना/कार्यक्रम के अंतर्गत न तो स्वीकृत है और न वर्तमान में किसी अन्य योजना/कार्यक्रम में अच्छादित किया जाना प्रस्तावित है। प्रायोजना का कार्य अनुमोदन लागत में ही यथाशीघ्र पूर्ण कराया जाना सुनिश्चित किया जाए तथा भविष्य में योजना का कोई भी पुनरीक्षण स्वीकार नहीं होगा। गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखते हुए पारदर्शिता के अनुसार ही कार्य सुनिश्चित किया जाए। निर्माण कार्यों का सम्यक परीक्षण किया जाए तथा थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन रिपोर्ट नियमित रूप से शासन को उपलब्ध कराई जाए।

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