रिटर्न दाखिल और टैक्स जमा पर जांच में फर्म अवैध, प्रपत्र दिखाने पर भी नहीं मिल रही राहत

व्यापारियों का दावा है कि माल बेचने वाला व्यापारी अपना रिटर्न भरते समय महीने में किसे माल बेचा यह भी दिखाता है। टैक्स इनवाइस से माल खरीदा गया और ई-वे बिल भी जारी हुआ। रास्ते में अधिकारियों द्वारा माल लदी गाडिय़ों की जांच भी की गई।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 08:57 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 08:57 PM (IST)
रिटर्न दाखिल और टैक्स जमा पर जांच में फर्म अवैध, प्रपत्र दिखाने पर भी नहीं मिल रही राहत
विभाग का कहना है कि ऐसे मामलों में फर्जी पैन से रजिस्ट्रेशन लिया गया है।

प्रयागराज,जेएनएन। वाणिज्य कर विभाग से मिली नोटिसों ने तमाम व्यापारियों का सिरदर्द बढ़ा दिया है। माल की खरीद बिक्री तक टैक्स इनवाइस, ई-वे बिल, बैंक से भुगतान के अलावा रिटर्न दाखिल कर टैक्स भी जमा किया गया था। इसके बावजूद विशेष अनुसंधान शाखा (एसआइबी) ने संबंधित फर्म के अस्तित्व में नहीं होने की बात लिख दी। इतना ही नहीं ऐसे प्रकरणों में रिवर्स इनपुट टैक्स क्रेडिट (आरआइटीसी) की प्रक्रिया भी अपनाई गई है। विभाग का कहना है कि ऐसे मामलों में फर्जी पैन से रजिस्ट्रेशन लिया गया है।

व्‍यापारियों में है नाराजगी

व्यापारियों का दावा है कि माल बेचने वाला व्यापारी अपना रिटर्न भरते समय महीने में किसे माल बेचा, यह भी दिखाता है। टैक्स इनवाइस से माल खरीदा गया और ई-वे बिल भी जारी हुआ। रास्ते में अधिकारियों द्वारा माल लदी गाडिय़ों की जांच भी की गई। फिर भी तमाम मामलों में एसआइबी की जांच के बाद विक्रेता फर्म को अवैध (इनवैलिड) करार देकर स्थानीय अधिकारी ने उसकी सूचना मुख्यालय भेज दी। संबंधित जोन कार्यालयों को जानकारी मिली तो कारोबारियों को नोटिसें जारी की गईं है।

पपत्र दिखाने के बाद भी नहीं मिल रही है राहत

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति के संयोजक संतोष पनामा और अध्यक्ष सतीश केसरवानी कहते हैैं कि टैक्स इनवाइस, ई-वे बिल, बैंक का भुगतान दिखाने के बावजूद अधिकारी नहीं मानते, यह चिंताजनक है। वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 के ट्रांजेक्शन (लेनदेन) को भी अवैध करार देकर आरआइटीसी की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। व्यापारियों से टैक्स, जुर्माना और ब्याज जमा कराया जा रहा है।

जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर अपनाई गई आरआइटीसी की प्रक्रिया

वाणिज्यकर विभाग के एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-टू एके सिंह का कहना है कि फर्जी पैन से रजिस्ट्रेशन ले लिया जाता है। कागज पर खरीद की जाती है। माल न आता है और न जाता है। जांच करने पर गड़बडिय़ां सामने आने पर आरआइटीसी की प्रक्रिया अपनाई गई है क्योंकि राजकीय कोष में टैक्स नहीं जमा हुआ।

chat bot
आपका साथी