Fight Against COVID 19 in Prayagraj: डॉक्‍टरों की है राय, सकारात्मक सोच से कोरोना से लड़ाई होती है आसान

मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. वी.के. मिश्रा ने अपने अनुभव को साझा किये। कोविड विषय पर व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि वह खुद दो-दो बार कोरोना पॉजिटिव हुए इसके बावजूद स्वयं को इस दशा से उबरने की मानसिक कटिबद्धता ने उन्हें स्वस्थ किया ।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Mon, 31 May 2021 01:21 PM (IST) Updated:Mon, 31 May 2021 01:21 PM (IST)
Fight Against COVID 19 in Prayagraj: डॉक्‍टरों की है राय, सकारात्मक सोच से कोरोना से लड़ाई होती है आसान
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया ।

प्रयागराज,जेएनएन। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया । इसमें विशिष्ट वक्ता एडिशनल सीएमओ एवं नोडल अधिकारी एनसीडी सेल, प्रयागराज डॉ. वी.के. मिश्रा, नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. ईशान्या राज और डॉ. इरा त्रिपाठी ने अपने अनुभव से समस्त प्रतिभागियों को लाभान्वित किया । निष्कर्ष निकाला कि सोच सकारात्मक हो तो कोरोना से लड़ाई आसान हो जाती है।

डाॅक्‍टरों ने अनुभव किया साझा

जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रयागराज की टीम और दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य करने वाले राष्ट्रीय संगठन नासेर्प ने संयुक्त रूप से ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया । इसमें कोरोना के नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव को कम करने के लिए स्वास्थ्य के अभिरक्षण, अनुरक्षण हेतु मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. वी.के. मिश्रा ने अपने अनुभव को साझा किये। कोविड विषय पर व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि वह खुद दो-दो बार कोरोना पॉजिटिव हुए, इसके बावजूद स्वयं को इस दशा से उबरने की मानसिक कटिबद्धता ने उन्हें स्वस्थ किया । कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता का जन्म मस्तिष्क में होता है जो समस्त शरीर को संचारित करता है , जो समस्त शरीर को संचारित करता है, मानसिक सकारात्मक सोच इस महामारी से लड़ने में बहुत ही सहायक सिद्ध हुई है ।

नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. ईशान्या राज ने कोरोना की दूसरी लहर में होने वाली मानसिक परेशानियां जैसे- निराशा, अपनों को खो देना, सरकार व समाज के प्रति गुस्सा, लाचारी,अकेलापन आदि से निपटने के मनोवैज्ञानिक तकनीकों को सिखाया ।

डॉ. इरा त्रिपाठी ने निदान और मनोविज्ञान के आपसी संबंधों पर चर्चा करते हुए बताया कि विषम से विषम परिस्थिति से लड़ने की क्षमता मनुष्य के मस्तिष्क में विद्यमान होती है। आवश्यकता है इसे सही समय पर सही दिशा प्रदान करने की । कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत नागेश पाण्डेय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (नासेर्प) तथा संचालन प्रियंका भनोट ने किया । राम प्रवेश तिवारी, प्रदेश उपाध्यक्ष नासेर्प ने अतिथिगण का धन्यवाद करते हुए वेबिनार का समापन किया । इसमें उत्तर प्रदेश से 250 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया ।

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