ये कौन 'भूत' है..., जो डफरिन अस्पताल की महिला मरीजों को कर रहा परेशान Prayagraj News
इन दिनों जिला महिला अस्पताल यानी डफरिन अस्पताल की महिला मरीज और उनके परिजन अज्ञात भय से ग्रस्त हैं। रात में कोई आकर उनके बाल खींचता है जिसे वह भूत कहती हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। पांच दिनों से डफरिन (जिला महिला अस्पताल) के सर्जिकल वार्ड-2 में भर्ती महिलाएं भयभीत हैं। कोई कह रहा है रात में वार्ड में भूत आता है तो कोई कुछ और कह रहा है। अस्पताल प्रशासन इन मरीजों का शंका समाधान करने के बजाय अनदेखी कर रहा है। शोर मचाने पर सुरक्षाकर्मी पहुंचते हैं लेकिन फिर वही स्थिति हो जाती है। जब तीमारदारों ने अस्पताल की मुख्य अधीक्षक को मामले से अवगत कराया तो उन्होंने साफ कह दिया कि जिसको रहना हो रहे और जिसको जाना हो वह वार्ड से जा सकता है। अस्पताल की अधीक्षक डॉ. मनीषा गुप्ता से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कॉल नहीं रिसीव नहीं किया।
भयभीत होकर एक मरीज घर चली गई
इस समस्या से लोग इतना ज्यादा सहम गए हैं कि सर्जिकल वार्ड-2 में भर्ती एक महिला समय से पहले ही मंगलवार को घर चली गई। उसके साथ भी इस तरह का वाकया पेश आया था। फिलहाल यहां पर भर्ती महिलाएं बेहद भयभीत हैं जबकि अस्पताल प्रशासन बेपरवाह बना है।
रात में महिला सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगी
डफरिन अस्पताल के मैनेजर भूपेंद्र सिंह ने कहा कि तीन चार दिन से सर्जिकल वार्ड-2 में भर्ती मरीज रात में किसी के आने और बाल खींचने की बात करते हैं। भूत-प्रेत की तो कोई बात ही नहीं है। हम रात में महिला सुरक्षाकर्मी तैनात करके पता करेंगे कि इसके पीछे हकीकत क्या है।
क्या कहते हैं मरीज व उनके परिजन
मीरापुर की सुखमनी देवी की बहू का प्रसव डफरिन अस्पताल में हुआ है। सुखमनी देवी कहती हैं वह मंगलवार की रात सर्जिकल वार्ड-2 में सोई थीं। तभी कोई आया और मेरा बाल खींचकर भागने लगा। इसी प्रकार रीवा के सुभाष मिश्रा की बहन भी इसी वार्ड में भर्ती हैं। सुभाष कहते हैं कि तीन दिन से प्रतिदिन रात में कोई न कोई आकर महिलाओं का बाल खींचता है। इसी क्रम में लेडिय़ारी के राहुल की पत्नी भी इसी वार्ड में भर्ती हैं। राहुल कहते हैं पुरुष रात में इस वार्ड में नहीं रह सकते। रात में महिलाएं भूत है-भूत है कर शोर मचाने लगती हैं। यह कौन कर रहा है पता नहीं।
मॉस हिस्टीरिया की शिकार
मनोचिकित्सक डॉ. राकेश पासवान कहते हैं कि अस्पताल में भूत-प्रेत होने जैसी कोई बात नहीं है। यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है, जिसे मॉस हिस्टीरिया कहते हैं। इसमें कई लोग किसी अज्ञात बात को लेकर भयभीत और आशंकित होते हैं। ऐसे मरीजों को जागरूक करने की जरूरत है।