तालाब के सहारे खेतों से सोना उगा रहे किसान, प्रयागराज में तमाम जगहों पर बारिश और नहर के पानी से सिंचाई
नवाबगंज के अल्पी का पूरा सेरावां होलागढ़ समेत अन्य कई जगहों पर खेतों के बीच तालाब हैं। स्थानीय किसान लल्लू चौरसिया और सत्यप्रकाश पांडेय बताते हैं कि बारिश के पानी से अमूमन तालाब लबालब हो जाते हैं। नहर से पानी नहीं मिलने पर तालाब का ही सहारा लिया जाता है।
प्रयागराज, जेएनएन। बारिश की बूंदों तालाब में को सहेजकर किसान खेतों से सोना उगा रहे हैं। यह कवायद पिछले तकरीबन 70 बरस से चल रही है। यही वजह है कि किसानों की फसलें सिंचाई के अभाव में प्रभावित नहीं हो पाती हैं।
दूसरे दैनिक कार्य के लिए भी तालाब के किनारे का सहारा
नवाबगंज के अल्पी का पूरा, सेरावां, होलागढ़ समेत अन्य कई जगहों पर खेतों के बीच तालाब हैं। स्थानीय किसान लल्लू चौरसिया और सत्यप्रकाश पांडेय बताते हैं कि बारिश के पानी से अमूमन तालाब लबालब हो जाते हैं। इससे फसलों की रोपाई के वक्त नहर से पानी नहीं मिलने पर तालाब का ही सहारा लिया जाता है। तालाबों से मशीन के सहारे पानी निकाला जाता है। ग्रामीण उन तालाबों को सूखने नहीं देते हैं। नहरों में जब पानी आता है तालाबों को पहले पानी सर लबालब कर दिया जाता है, जिससे अगले फसल की रोपाई में उन्हेंं परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। साथ ही मवेशियों को गर्मी के दिनों में यहीं पर पानी भी पिलाया जाता है। इसके अलावा इन पानी से गाड़ी आदि की धुलाई भी की जाती है। साथ ही बाग में लगे पौधों की सिंचाई तालाब के पानी से किया जाता है।
जलकुंभी निकले तो बन जाए बात
आसपास के किसानों का कहना है कि तालाब में लंबे समय से जलकुंभी जम गई है। हालांकि, इस तरफ कोई ध्यान ही नहीं देता। सड़क से सटे इस तालाब से यदि जलकुंभी निकलवा दिया जाए तो इसका अस्तित्व भी देखने लायक हो जाएगा। इसके अलावा इस तालाब के सुंदरीकरण की भी बात उठी है। फिलहाल यह केवल कोरे सपने जैसा ही है