Coronavirus Effect : बाजार में नकली सैनिटाइजर और पीपीई किट बिक रहा है, सावधान रहेें Pratapgarh News
पुराने शहर के चौक बहादुरगंज क्षेत्र के बाजारों में बिकने वाले सैनिटाइजर के गुणवत्ता का तनिक भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। सैनिटाइजर किस कंपनी के हैं इसका भी अता-पता नहीं है।
प्रयागराज, जेएनएन। बाजारों के धीरे-धीरे खुलने से विभिन्न उत्पादों की मांग भी बढऩे लगी है। पीपीई किट, सैनिटाइजर, हैंडवॉश और मास्क की डिमांड विशेष रूप से बनी है। सैनिटाइजर और पीपीई किट के लिए सरकार ने बाकायदा मानक तय किए हैं। फिर भी बाजार में नकली उत्पादों का नेटवर्क सक्रिय होने से सैनिटाइजर और पीपीई किट घटिया किस्म की बेची जा रही है। इन चीजों के रेट पर भी संबंधित विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है।
स्थानीय स्तर पर तैयार करा कर इसे बेचा जा रहा सैनिटाइजर
पुराने शहर के चौक, बहादुरगंज क्षेत्र के बाजारों में बिकने वाले सैनिटाइजर के गुणवत्ता का तनिक भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। अधिकांश बिक रहे सैनिटाइजर किस कंपनी के हैं, इसका भी अता-पता नहीं है। स्थानीय स्तर पर तैयार करा कर इसे बेचा जा रहा है। लॉकडाउन में ढील के बाद से सैनिटाइजर की बिक्री में करीब 40 से 50 फीसद की वृद्धि हुई है। 50 और 100 मिली के सैनिटाइजर की मांग यथावत है लेकिन 500 मिली से लेकर पांच लीटर तक के सैनिटाइजर की डिमांड बढ़ी है।
पीपीई किट झोले बनाने वाली पॉलीथिन की बनी है
यूं तो पीपीई किट कानपुर, आगरा, दिल्ली से मंगाई जा रही है। वहीं बाजार में जो पीपीई बिक रही है, वह झोले बनाने वाली पॉलीथिन की बनी है। इसमें प्लास्टिक वाले चश्मे लगा दिए जा रहे हैं, जिसका असर आंख पर भी पडऩे का खतरा बना रहता है।
दाम पर भी नियंत्रण नहीं
बाजार में पीपीई किट करीब पांच सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक में बिक रही है। वहीं चश्मे की कीमत 30-40 और मास्क का रेट आठ से 10 रुपये है। फिर भी इतने अधिक दाम पर किट बिक रही है। मास्क एक रुपये से लेकर लगभग डेढ़ सौ रुपये तक बाजार में बिक रहा है।
बोले, इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष
इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल दुबे कहते हैं कि लॉकडाउन में ढील के बाद सरकारी कार्यालयों, प्रतिष्ठानों के खुलने से पांच सौ मिली से लेकर पांच लीटर तक सैनिटाइजर की डिमांड तेजी से बढ़ी है। 50 और 100 मिली की बिक्री यथावत है।
प्रयाग केमिस्ट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बोले
प्रयाग केमिस्ट एसोसिएशन (रिटेल) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धर्मेंद्र द्विवेदी ने कहा कि झोले बनाने वाले पॉलीथिन से पीपीई किट बन रही है। इसे पहनने पर शरीर में इंफेक्शन होने का डर रहता है। चश्मे भी गुणवत्ताविहीन लगाए जा रहे हैं।