COVID-19 को आप भी कर सकते हैं पराजित, रेकी ग्रैंड मास्टर सतीश राय ने दिया है यह टिप्स
रेकी ग्रैंड मास्टर सतीश राय ने कहा कि 90 फीस बीमारियां मनोदैहिक होती हैं अर्थात मन के कारण होती हैं। अगर आपके मन में किसी भी बीमारी का थोड़ा सा भी डर है तो आपका दिमाग आपके शरीर में उस बीमारी के लक्षण उत्पन्न कर देता हैै।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस का डर लोगों के मन में घर कर गया है। यह भले ही बीमारी है लेकिन इससे डरने के बजाय लडने की जरुरत है, वह भी समझदारी से। इससे खतरनाक वायरस से कैसे बचें, बता रहे हैं एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण व़ प्राकृतिक संस्थान के रेकी ग्रैंड मास्टर सतीश राय।
दी सलाह कि कोरोना काल में भयमुक्त रहें
उन्होंने बताया कि वर्तमान परिस्थितियों में डर का वातावरण बना हुआ है। लोग डरे हुए हैं, ऐसे में बिलकुल भी न घबराएं, न डरें और भयमुक्त रहें। क्योंकि 90 फीस बीमारियां मनोदैहिक होती हैं अर्थात मन के कारण होती हैं। अगर आपके मन में किसी भी बीमारी का थोड़ा सा भी डर है तो आपका दिमाग आपके शरीर में उस बीमारी के लक्षण उत्पन्न कर देता हैै। हमारा दिमाग इतना शक्तिशाली है कि वह किसी भी बीमारी का इलाज भी कर सकता है और बीमारी पैदा भी कर सकता है।
असाध्य बीमारियों का कारण नकारात्मक विचार
रेकी ग्रैंड मास्टर ने सलाह दी कि कोरोना पॉजिटिव होने पर डरें और घबराएं नहीं, जल्द स्वस्थ हो जाएंगे। बुरी सोच से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन पैदा होने लगते हैं जो शरीर की ग्लूकोज को खत्म कर देता है। इसी कारण बहुत गुस्से में होने पर व्यक्ति थका हुआ महसूस करने लगता है। लगातार नकारात्मक विचार बनते रहने पर व्यक्ति असाध्य बीमारियों से घिर जाता है। कहा की नकारात्मक व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है और सकारात्मक व्यक्ति सकारात्मक शक्तियों को अपनी और आकर्षित करता है। जैसा विचार महसूस करते हैं वैसे अनेकों विचार हमारे मन में आने लगते हैं, क्योंकि यह आकर्षण के नियम के सिद्धांत पर कार्य करता है। लगातार नेगेटिव सोच के कारण व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है छोटी-छोटी बातों पर क्रोधित होने लगता है।
शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन कैसे मिले
शरीर तो सभी वायरस का दुश्मन होता है बस हमें शरीर की जीवनी शक्ति को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए हम स्पर्श ध्यान लगाकर ऊर्जा शक्ति को बढ़ा सकते हैं। स्पर्श ध्यान से ब्रह्मांड में अनंत स्वस्थ ऊर्जा भंडार से प्राणशक्ति हम ग्रहण करते हैं। जीवित रहने के लिए शुद्ध प्राणशक्ति अत्यंत जरूरी है। शहरों में शुद्ध प्राणवायु की कमी हो गई है हवा में जहरीली गैस की मात्रा बढ़ रही है इसी के कारण ज्यादातर लोगों को मौसम बदलते ही सर्दी जुकाम खांसी या अस्थमा की बीमारियां हो रही है। ऐसे में कोरोना के वायरस शरीर में पहुंचते ही बीमारी अत्यंत गंभीर हो जाती।
सांस के जरिए भीतर जाने वाली हवा का मात्र 5 फीसद ही इस्तेमाल होता है
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को हर मिनट 7 लीटर हवा की जरूरत होती है। अर्थात रोज करीब 10 हजार लीटर से ज्यादा हवा सांस के जरिए फेफड़ों में जाती है। जाने वाली हवा में 20 फीसद ऑक्सीजन होती है जबकि छोड़ी जाने वाली सांस में 15 फीसद ऑक्सीजन रहती है। अर्थात सांस के जरिए भीतर जाने वाली हवा का मात्र 5 फीसद ही इस्तेमाल होता है। यही 5 फीसद ऑक्सीजन है जो कार्बन डाइऑक्साइड में बदलती है। यानी एक इंसान को 24 घंटे में करीब 500 लीटर के लगभग शुद्ध ऑक्सीजन की जरूरत होती है।
500 लीटर से कम ऑक्सीजन मिलने पर हमें घुटन महसूस होती है
स्वस्थ व्यक्ति 1 मिनट में 10 से 18 बार सांस लेता है। स्वस्थ व्यक्ति को कम से कम 500 लीटर ऑक्सीजन चाहिए यह तभी मिल सकती है जब हम शुद्ध हवा में रहें। 10 हजार लीटर से ज्यादा हवा में 500 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन हमें मिलता है। 500 लीटर से कम ऑक्सीजन मिलने पर हमें घुटन महसूस होती है, सांस फूलने लगती है। यदि ज्यादा दिनों तक वातावरण में ऑक्सीजन की कमी रहे तो शरीर में गंभीर असाध्य बीमारियां पनपने लगती हैं। उसमें से एक कैंसर रोग भी है l बहुत दिनों तक कम ऑक्सीजन में रहने पर कैंसर के सेल पनपने लगते हैं।