विश्व में शाश्वत नैतिक व्यवस्था : प्रो. उमाकांत

सदनलाल सावलदास खन्ना महिला महाविद्यालय एवं साहित्य परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यानमाला का बुधवार को समापन हुआ। मुख्य अतिथि इविवि के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर उमाकांत यादव ने कहा कि कर्मवाद के सिद्धांत की पृष्ठभूमि में भारतीय चिंतकों की यह मान्यता निहित है कि विश्व में एक शाश्वत नैतिक व्यवस्था है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 08:29 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 08:29 PM (IST)
विश्व में शाश्वत नैतिक व्यवस्था : प्रो. उमाकांत
विश्व में शाश्वत नैतिक व्यवस्था : प्रो. उमाकांत

जासं, प्रयागराज : सदनलाल सावलदास खन्ना महिला महाविद्यालय एवं साहित्य परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यानमाला का बुधवार को समापन हुआ। मुख्य अतिथि इविवि के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर उमाकांत यादव ने कहा कि कर्मवाद के सिद्धांत की पृष्ठभूमि में भारतीय चिंतकों की यह मान्यता निहित है कि विश्व में एक शाश्वत नैतिक व्यवस्था है। इसके जरिए सम्पूर्ण विश्व संचालित होता है। ऋग्वेद में इसे ही ऋत, मीमासा में अपूर्व, वैशेषिक में अदृष्ट के रूप में व्याख्यायित किया गया है। मनुष्य सकारात्मक कर्मो में प्रवृत्त होकर ही जीवन लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है। विभाग की सह-आचार्य ज्योति कपूर ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ. सौम्या कृष्ण और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रचना आनंद गौड़ ने किया। इस दौरान महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. लालिमा सिंह, डॉ. आशा उपाध्याय, डॉ. नीरजा सचदेव, डॉ. ताहिरा बेगम, डॉ. आरिफा बेगम, डॉ. रुचि मालवीय, डॉ. सदफ सिद्दीकी, डॉ. हरीश सिंह, डॉ. प्रीति यादव, डॉ. रिया मुखर्जी, डॉ. आदित्य त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।

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