सहालग से उद्यमियों को थी आस, कोरोना से सब खत्म

कोरोना के कारण पिछले साल लॉकडाउन में नुकसान झेल चुके उद्यमी इकाइयों को धीरे-धीरे पटरी पर लाना शुरू किए थे। उन्हें इस गर्मी की सहालग से अपने उद्यम को फिर से रफ्तार मिलने की आस थी। लेकिन हालात ऐसे हैं कि औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयों को चलाना बेहद मुश्किल है। उत्पादन घटने और उत्पादों की मांग में बेतहाशा कमी से सारी योजना खत्म होती नजर आ रही है। हर किसी की प्राथमिकता अपनी और अपने स्टॉफ की इस महामारी से सुरक्षा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 08:01 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 08:01 PM (IST)
सहालग से उद्यमियों को थी आस, कोरोना से सब खत्म
सहालग से उद्यमियों को थी आस, कोरोना से सब खत्म

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : कोरोना के कारण पिछले साल लॉकडाउन में नुकसान झेल चुके उद्यमी इकाइयों को धीरे-धीरे पटरी पर लाना शुरू किए थे। उन्हें इस गर्मी की सहालग से अपने उद्यम को फिर से रफ्तार मिलने की आस थी। लेकिन, हालात ऐसे हैं कि औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयों को चलाना बेहद मुश्किल है। उत्पादन घटने और उत्पादों की मांग में बेतहाशा कमी से सारी योजना खत्म होती नजर आ रही है। हर किसी की प्राथमिकता अपनी और अपने स्टॉफ की इस महामारी से सुरक्षा है।

रमीरा फ्लेक्सिबल पैकेजिग के प्रोपराइटर अंकित रमीरा का कहना है कि पिछले साल ठंड की सहालग भी हल्की रही। होली में भी बाजार बहुत नहीं चढ़ा। दिसंबर से मार्च तक बाजार मंद था। गर्मी की सहालग अच्छी होने से सुस्त इकाइयों की रिकवरी के आसार थे मगर, कोरोना की लहर ने उस उम्मीद को पूरी तरह से तोड़ दिया। मेरी कंपनी में ज्यादातर स्टॉफ आसपास के हैं मगर, एक बुजुर्ग स्टॉफ यहीं शहर में हैं। उन्हें कोरोना के कारण अपने साथ लेकर कंपनी जाता और आता हूं। तिरुपति बेकर्स के एक शीर्ष पदाधिकारी का कहना है कि एक-दो दिनों से कामगार नहीं आ रहे हैं। इससे एक दिन में ही करीब 10 से 15 फीसद तक उत्पादन घट गया है। बढ़े दाम नहीं देना चाहतीं पाíटयां

अयान पैकेजिग के प्रोपराइटर और यूपी स्टेट इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष के खान का कहना है कि कच्चा माल महंगा हो गया है। पाíटयां बढ़े दाम को नहीं देना चाहती हैं। उद्यमी 'नो प्रॉफिट, नो लॉस' पर काम कर रहे हैं। गिनी-चुनी फैक्ट्रियां चल रही हैं। बैंक का कर्ज, बिजली बिल, वर्करों का वेतन देना ही है।

chat bot
आपका साथी