कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रयागराज में अफरातफरी मचने के पीछे तमाम खामियां बनी थीं कारण

दूसरी लहर के दौरान लेवल थ्री और लेवल टू अस्पताल में चिकित्सा सुविधा के बावजूद अफरा तफरी मची थी। खासतौर से लेवल थ्री के कोविड अस्पताल यानी स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में डाक्टरों और प्रबंधन का पूरा ध्यान फूलती सांस लेकर आ रहे मरीजों की जान बचाने में लग गया था

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 06:40 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 06:40 AM (IST)
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रयागराज में अफरातफरी मचने के पीछे तमाम खामियां बनी थीं कारण
दूसरी लहर के दौरान कोविड अस्पताल में चिकित्सा सुविधा के बावजूद अफरा तफरी मची थी

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी की दूसरी लहर का खतरनाक स्वरूप जिसने भी देखा, भुगता और महसूस किया है उसकी अब यही कामना है कि तीसरी लहर से भगवान बचाए। वहीं दूसरी लहर के प्रभाव के दौरान लेवल थ्री और लेवल टू अस्पताल में चिकित्सा की उचित सुविधा के बावजूद अफरा तफरी मची थी। खासतौर से लेवल थ्री के कोविड अस्पताल यानी स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में डाक्टरों और प्रबंधन का पूरा ध्यान फूलती सांस लेकर आ रहे मरीजों की जान बचाने में लग गया था जबकि ऐसी कोई टीम नहीं बनाई गई थी जो अस्पताल की चौखट पर आए संक्रमितों व तीमारदार को यह बता सके कि उन्हें करना क्या है।

नंबर गेम :

600 बेड पर संक्रमितों को भर्ती कर हुआ था इलाज

01 कोविड हेल्प डेस्क सक्रिय हुई थी कई दिनों बाद

300 औसतन मरीज प्रत्येक दिन पहुंचते थे एसआरएन

01 भी टीम नहीं थी जो गेट से वार्ड तक मैनेज करे

02 आक्सीजन प्लांट ही पूरी कर पा रहे थे मरीजों की जरूरत

110 वेंटिलेटर से पूरी नहीं हो रही थी अस्पताल की जरूरत

19 तक बढ़ानी पड़ी थी शहर में अस्पतालों की संख्या

490 संक्रमितों की दूसरी लहर में जा चुकी है जान

इलाज कराने में देरी के पीछे भी थी वजह

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों की मौत होने के पीछे यह भी अहम वजह थी कि अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उन्हें काफी देर हो गई थी। जबकि कोविड टेस्ट के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से निर्धारित केंद्रों पर भीड़ से बचने और कोरोना के प्रति लोगों में बनी धारणा के चलते भी तमाम लोगों के सामने अपनी बीमारी छिपाकर रखने की मजबूरी थी।

व्यवस्थाओं में नहीं थी कोई कमी, बोले अधीक्षक

व्यवस्था में कोई कमी नहीं थी। सिर्फ इतना ही रहा कि बेड सीमित थे, इसलिए तमाम जरूरतमंद लोगों को मजबूरी में लौटकर दूसरे अस्पताल जाना पड़ा। मरीजों को मैनेज करने के लिए कोविड हेल्प डेस्क भी बनी जिसके पास वार्डों में बेड के खाली या भरी होने की सूचना तक रहती थी। अब हमारे पास वेंटिलेटर भी अधिक हैं, बेड भी पहले से दोगुने हो गए हैं और 4600 के बाद 300 अतिरिक्त बेड तक आक्सीजन सप्लाई पहुंचाई जा चुकी है। फिलहाल अब किसी प्रकार की कमी नहीं दिख रही है।

डा. मोहित जैन, अधीक्षक लेवल थ्री कोविड अस्पताल, एसआरएन

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