खाद्य तेलों की स्टाक लिमिट निर्धारित होने से व्यापारियों में खलबली मची, जानें क्या है लिमिट
इलाहाबाद गल्ला तिलहन व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश चंद्र केसरवानी का कहना है कि सरकार ने खाद्य तेलों की थोक लिमिट घटाकर 250 कुंतल निर्धारित कर दिया है। इससे थोक बाजार में उथल-पुथल मची है। वहीं व्यापारियों में खलबली मची हुई है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सरसों तेल, रिफाइंड और पामोलीन आदि खाद्य तेलों की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से खाद्य तेलों की स्टाक लिमिट निर्धारित कर दी गई है। खाद्य तेलों की स्टाक लिमिट निर्धारित किए जाने से थोक व्यापारियों में खलबली मच गई है। इससे बाजार में उथल-पुथल मच गई है। इससे प्रयागराज भी अछूता नहीं रहा। इस मसले पर जिलाधिकारी ने शहर के थोक कारोबारियों की आज बैठक आयाेजित की है। अब सभी की निगाह इस बैठक पर है कि क्या निर्णय लिया जाएगा।
सरसों तेल, रिफाइंड व पामोलीन का थोक रेट स्थिर
सरसों तेल, पामोलीन और रिफाइंड आदि खाद्य तेलों का थोक मूल्य स्थिर बना हुआ है। सरसों तेल का थोक मूल्य (15 किलो टीन) 2800 रुपये, रिफाइंड का थोक दाम (15 लीटर टीन) 2150 रुपये और पामोलीन का थोक रेट (15 किलो टीन) 2000 रुपये है। फुटकर में सरसों तेल का दाम 185 रुपये लीटर, रिफाइंड की कीमत 155 लीटर और पामोलीन का दाम 135 रुपये किलो है। वहीं वनस्पति का थोक रेट (15 किलो टीन) 1900 रुपये हो गया था।
खाद्य तेलों की थोक लिमिट घटकर 250 कुंतल निर्धारित
इलाहाबाद गल्ला तिलहन व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश चंद्र केसरवानी का कहना है कि सरकार ने खाद्य तेलों की थोक लिमिट घटाकर 250 कुंतल निर्धारित कर दिया है। इससे थोक बाजार में उथल-पुथल मची है। वहीं व्यापारियों में खलबली मची हुई है। उनका कहना है कि लिमिट तय करना गलत है, क्योंकि थोक व्यापारी कई प्रकार के खाद्य तेलों का स्टाक रखता है। एक ट्रक सरसों का तेल, एक ट्रक रिफाइंड, एक ट्रक पामोलीन, एक ट्रक वनस्पति और एक ट्रक मूंगफली का तेल मंगाता है तो स्टाक बहुत अधिक हो जाता है। ढाई सौ कुंतल स्टाक तो एक ट्रक में ही आ जाएगा।
बड़े कारोबारियों के लिए अलग तय हो लिमिट : व्यापारी नेता
इलाहाबाद गल्ला तिलहन व्यापार मंडल के अध्यक्ष का कहना है कि छोट व्यापारियों के लिए यह लिमिट ठीक है लेकिन, बड़े कारोबारियों के लिए लिमिट ठीक नहीं है। छोटे और बड़े व्यापारियों के लिए लिमिट अलग तय की जानी चाहिए। उनका कहना है कि इससे खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि के भी आसार हैं।