Rain Effect: पहाड़ों पर लगातार हो रही भारी बारिश से संगम पर बढ़ा जलस्तर

उत्तराखंड में कई दिन बारिश हो रही है। बारिश ने वहां पर तबाही मचा दी है। अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। पहाड़ का पानी अब मैदानी इलाकों में पहुंचा तो उसका असर दिखने लगा। बुधवार की रात से संगम में जलस्तर की बढ़ोतरी देखी गई।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 10:40 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 03:21 PM (IST)
Rain Effect: पहाड़ों पर लगातार हो रही भारी बारिश से संगम पर बढ़ा जलस्तर
24 घंटे में करीब दो फीट बढ़ गया है जलस्तर, जलस्तर बढ़ने से दलदल सूखने में लगेगा समय

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। पहाड़ पर कई दिन से हो रही बारिश का असर मैदानी इलाकों में भी दिखने लगा है। संगम पर भी जलस्तर बढ़ा है।  24 घंटे में यहां पर करीब दो फीट पानी बढ़ गया है। और जल स्तर में बढ़ोतरी अभी भी जारी है। पानी और बढ़ा तो नदी किनारे हुए दलदल को सूखने में समय लगेगा और फिर संगम तट पर माघ महीने में होने वाले माघ मेला और अन्य आयोजनों की तैयारी में बाधा आएगी।

उत्तराखंड की बारिश का असर पहुंचा प्रयागराज 

दरअसल उत्तराखंड में कई दिन बारिश हो रही है। बारिश ने वहां पर तबाही मचा दी है। अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। पहाड़ का पानी अब मैदानी इलाकों में पहुंचा तो उसका असर दिखने लगा। बुधवार की रात से संगम में जलस्तर की बढ़ोतरी देखी गई। तीर्थ पुरोहित राजेंद्र पालीवाल ने बताया कि जलस्तर बढ़ रहा है। इससे स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को थोड़ी परेशानी हो रही है। घाट पर दलदल ज्यादा हो गया है। तीर्थ पुरोहित प्रदीप पांडेय ने बताया कि पानी की बढ़ोतरी को देखते हुए तख्त को घाट से दूर करा दिया है। लेकिन जलस्तर के ज्यादा बढ़ने के असार नहीं हैं। वैसे संगम नगरी में गंगा और यमुना की बाढ़ 15 अक्टूबर तक हर साल रहती है। उसके बाद पानी लगातार कम होता है। इस बार भी पिछले कई दिन से पानी कम हो रहा था। जलस्तर कम हुआ तो मेला प्रशासन ने माघ मेला 2022 की तैयारी शुरू कर दी।

बाढ़ का समय खत्म हो चुका है

माघ मेला बसाने के लिए पिछले दिनों प्रशासनिक अफसरों ने स्थलीय मुआयना भी किया। संगम किनारे दीपावली के बाद देव दीपावली का भव्य आयोजन होना है। उसी दौरान छठ पूजा भी होगी। उसके लिए पिछले कुछ दिनों से घाट पर समतलीकरण का काम चल रहा था। सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड अभियंता ब्रजेश कुमार ने बताया कि बाढ़ का समय खत्म हो चुका है। पहाड़ पर बारिश का असर मामूली है।

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