कुशल अध्येता थे डॉ. क्षमाशंकर, उनका निधन हिंदी साहित्य के लिए बड़ी क्षति, प्रयागराज में बोले आचार्य पृथ्वीनाथ
आचार्य पृथ्वीनाथ ने कहा कि डॉ. क्षमाशंकर ने साहित्यिक कृतियों के भी प्रणयन किये थे। जिनमें नये सवाल मिले भारतीय नारीवाद स्थिति और सम्भावना धूमिल रामकथा विविध संदर्भ हर गवाही आपकी आदिक सम्मिलित हैं। वे किसी विषय पर लेखन के लिए तत्पर होते तो मुझसे सम्पर्क करते थे
प्रयागराज, जेएनएन। कुशल अध्येता और हिंदी के सच्चे सेवक थे डॉ. क्षमाशंकर पांडेय। उन्होंने हिंदी भाषा व साहित्य के उत्थान के लिए हरसंभव योगदान दिया। ये विचार भाषाविद् आचार्य पृथ्वीनाथ पांडेय ने डॉ. क्षमाशंकर पांडेय की स्मृति में व्यक्त किए। कई महाविद्यालयों में हिंदी विषय के प्राध्यापन करने के बाद साहित्य-अनुशीलन में व्यस्त रहने वाले डॉ. क्षमाशंकर का बुधवार को निधन हो गया था।
उनका निधन हिंदी साहित्य के लिए बड़ी क्षति
आचार्य पृथ्वीनाथ ने कहा कि डॉ. क्षमाशंकर ने साहित्यिक कृतियों के भी प्रणयन किये थे। जिनमें नये सवाल मिले, भारतीय नारीवाद : स्थिति और सम्भावना, धूमिल, रामकथा : विविध संदर्भ, हर गवाही आपकी आदिक सम्मिलित हैं। वे जब भी किसी विषय पर लेखन करने के लिए तत्पर होते तो मुझसे सम्पर्क करते थे। विषय-वस्तु से अवगत कराते हुए जरूरी मार्गदर्शन लेते थे। मैं उनके विचार को मौलिक और गवेषणा-प्रधान रूप देने के लिए यथाशक्य सम्मति प्रकट करता था। नवीनतम कृति-प्रकाशन होने पर उसे भेंट करते थे। उनका निधन हिंदी साहित्य के लिए बड़ी क्षति है।