कोरोना संकट में डॉक्टर नीलम ने पेश की मिसाल, प्रयागराज में चार हज़ार से अधिक मरीजों का किया इलाज

एनेस्थीसिया विभाग के चिकित्सकों ने भी लेवेल थ्री अस्पताल के आइसीयू व एचडीयू वार्ड में भर्ती गंभीर मरीजों के उपचार में जान लड़ा दी। संक्रमण के सबसे करीब होने पर भी फर्ज के आगे कभी इनके हौसले नहीं डगमगाए। कोरोना से जंग में शामिल एनेस्थैटिक हैं डॉ. नीलम ।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 12:41 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 12:41 PM (IST)
कोरोना संकट में डॉक्टर नीलम ने पेश की मिसाल, प्रयागराज में चार हज़ार से अधिक मरीजों का किया इलाज
करीब 160 कोरोना पॉज़िटिव गर्भवती को एनेस्थीसिया देकर ऑपरेशन से सुरक्षित एवं सफल प्रसव कराया है।

प्रयागराज जेएनएन। कोविड-19 की रोकथाम में चिकित्सकों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इनमें एनेस्थीसिया विभाग के चिकित्सकों ने भी लेवेल थ्री अस्पताल के आइसीयू व एचडीयू वार्ड में भर्ती गंभीर मरीजों के उपचार में जान लड़ा दी। संक्रमण के सबसे करीब होने पर भी फर्ज के आगे कभी इनके हौसले नहीं डगमगाए। कोरोना से जंग में शामिल ऐसी ही एनेस्थैटिक हैं डॉ. नीलम । 

जनपद के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में कार्यरत एनेस्थैटिक डॉ. नीलम सिंह (कोविड आईसीयू इंचार्ज, प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष एनेस्थीसिया क्रिटिकल केयर) ने कोरोना काल में करीब चार हज़ार से ज्यादा कोरोना पॉज़िटिव मरीजों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही करीब 160 कोरोना पॉज़िटिव गर्भवती को एनेस्थीसिया देकर ऑपरेशन से सुरक्षित एवं सफल प्रसव कराया है। डॉ. नीलम बीते सितम्बर माह में स्वयं पॉजिटिव हो गई थी, पर ठीक होते ही पुनः लोगो के उपचार में लग गईं। उनकी कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें मिशन शक्ति के तहत प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित भी किया गया है। इसके लिए वह अपने सभी सहकर्मियों और परिवार के सहयोग को धन्यवाद देती हैं। 


कई डॉक्टर हुए संक्रमित मगर हौसला नहीं खोया

डॉ. नीलम कहती हैं कि कोरोना से डर सभी को लगता है। मरीजों के इलाज के दौरान हमारे कई साथी पॉजिटिव भी हुए। इन हालातों में भी हम काम कर रहे हैं । जिम्मेदारियाँ बड़ी है, 12 से 15 घंटे लगातार पीपीई किट पहनकर काम करना पड़ता है । मरीजों को परिवार से दूर होने के कारण निराशा न घेरे इसके लिए मानसिक तौर पर हमेशा उन्हें साहस दिया। कोविड वार्ड में मरीजों को दवा व उनके भोजन से लेकर ऑक्सीज़न सेचुरेशन आदि सभी का ख्याल रखा जाता है। आईसीयू इंचार्ज होने के नाते ऑक्सीज़न की समुचित व्यवस्था की ज़िम्मेदारी भी है। संक्रमण के कारण कई बार सांस फूलने की स्थिति में मरीज अपने मुँह पर लगे मास्क हटा देते थे। इसलिए ऐसे मरीजों को घंटों पकड़ कर बैठना पड़ा है। कोई मरीज जब ठीक होकर जाता तो उनके भावुक होने पर हमारी ऑंखें भी खुशी से भर आती है। कहा कि बहुत प्रयास के बाद भी हम कुछ लोगों को नहीं बचा पाए इसका दुख अभी भी परेशान करता है। 

वर्तमान में एस.आर.एन. के आई.सी.यू. में बेड बढ़ा कर 314 कर दिए गए हैं इसलिए ज़िम्मेदारी भी बढ़ गई है। इसमें सहयोगी चिकित्सक पूरा सहयोग भी कर रहे हैं जिनमें डॉ. राजीव गौतम भी हैं। 

वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज की देखभाल में है महत्वपूर्ण भूमिका 

डॉ. नीलम बताती हैं कि कोरोना काल में वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहै मरीजों को देख मन सिहर उठता है। पर उन्हीं मरीजों के साथ हम अपना पूरा समय बिताते हैं। क्योंकि एनेस्थैटिक, मरीज के मुँह के सीधे संपर्क में रहता है। इसलिए इलाज के दौरान संक्रमण होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है । वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज ज़िदगी से जंग अकेले नहीं लड़ता बल्कि उसके साथ चिकित्सक भी लड़ता है। मरीज जब तक ऑक्सीज़न मास्क व वाइपेड मास्क तक सीमित रहता है तब तक स्थितियाँ पूरी तरह से काबू में रहती हैं। पर जब वह वेंटिलेटर पर जाता है तो उसकी हालत बेहद नाजुक हो चुकी होती है। एनेस्थैटिक चिकित्सकों को ज़्यादातर लोग बस एनेस्थीसिया विशेषज्ञ जानते हैं बल्कि एनेस्थैटिक ही वेंटिलेटर के संचालन का विशेषज्ञ होता हैं। इसलिए कोरोना काल में वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों की देखभाल के लिए एनेस्थेटिक की महत्वपूर्ण भूमिका है। 

संघर्ष के समय में पति ने निभाया पूरा साथ  

डॉ. नीलम ने बताया कि हर महिला कि सफलता के पीछे एक पुरुष का साथ होता है। ऐसे ही मेरी सफलता के पीछे मेरे पति प्रोफेसर डॉ. दिनेश चंद्र लाल का साथ है। उन्होने कोरोनाकाल में हर कदम साथ निभाया व मेरे हौसले को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया।

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