एक अस्पताल चपरासी के भरोसे तो दूसरे में डॉक्टर नदारद, प्रयागराज के मेंडारा में मौतों के बाद लापरवाही उजागर

दस हजार जनसंख्या वाले मेंडारा गांव को कोविड-19 महामारी में स्वास्थ्य विभाग ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा बहुओं के हवाले छोड़ दिया था। गांव में दो अस्पताल हैं। जिनमें एक तो चपरासी के भरोसे है। दूसरे में तैनात चिकित्सक को एक माह पहले ही कोविड-19 ड्यूटी में लगा दिया गया।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 22 May 2021 03:21 PM (IST) Updated:Sat, 22 May 2021 03:21 PM (IST)
एक अस्पताल चपरासी के भरोसे तो दूसरे में डॉक्टर नदारद,  प्रयागराज के मेंडारा में मौतों के बाद लापरवाही उजागर
दैनिक जागरण में खबर उजागर होते ही गांव पहुंची स्वास्थ्य टीम, कोविड जांच में 51 लोगों के लिए सैंपल

प्रयागराज, जेएनएन। गंगापार इलाके में गंगापार के मेंडारा गांव में एक महीने में 50 से अधिक मौत ने स्वास्थ्य विभाग में भी हलचल मचा दी। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि पिछले पखवाड़े तक तकरीबन 28 सौ गावों में घर-घर सर्वे कराकर सभी परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य की रिपोर्ट संकलित कराई गई, लेकिन, यह गांव कैसे छूट गया इस बड़े सवाल पर स्वास्थ्य विभाग ही नहीं, प्रशासनिक अधिकारियों ने भी लीपापोती कर दी। दैनिक जागरण में गांव के हालात उजागर होते ही शुक्रवार को स्वास्थ्य महकमा और प्रशासन ने वहीं डेरा डाल दिया, 51 लोगों की कोविड जांच की, नाली की सफाई, चूने का छिड़काव हुआ। जांच टीम का दावा है कि गांव के दो लोगों की मौत की वजह कोरोना का  इंफेक्शन रहा जबकि उनमें कुछ लोग अधिक आयु में गंभीर बीमारियों से चल बसे।


दो अस्पताल मगर डॉक्टर नहीं महज एक चपरासी, तो कौन करे इलाज

दस हजार जनसंख्या वाले मेंडारा गांव को कोविड-19 महामारी में स्वास्थ्य विभाग ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा बहुओं के हवाले छोड़ दिया था। गांव में दो अस्पताल हैं। जिनमें एक तो चपरासी के भरोसे है। दूसरे में तैनात चिकित्सक को एक माह पहले ही कोविड-19 ड्यूटी में लगा दिया गया है। सीएमओ डॉ.प्रभाकर राय का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम की जांच रिपोर्ट के आधार पर और भी कदम उठाए जाएंगे।

स्वास्थ्य टीम ने किया चेकअप और बांदी दवाएं

मेंडारा गांव में बड़ी संख्या में मौत की खबर जागरण में आने के बाद शुक्रवार को डॉ. शशि दीक्षित के नेतृत्व में टीम मेंडारा गांव पहुंची थीई। शिविर लगाकर ग्रामीणों की कोरोना जांच की गई। दोपहर एक बजे तक 30 लोगों ने सैंपल दिए गांव की आबादी करीब 10 हजार लोगों की है। सैंपल देने वालों की संख्या काफी कम होने की सूचना मिलने पर एसडीएम सोरांव अनिल चतुर्वेदी, कानूनगो कपिल मिश्रा, श्रृंगवेरपुर ब्लॉक प्रशासक विमल यादव, मंसूराबाद चौकी प्रभारी राजेश कुमार भी मेंडारा पहुंचे। पुलिस और राजस्व विभाग के कर्मचारी गांव में घूमकर स्थिति का जायजा लेने लगे। कोविड-19 की जांच के प्रति जागरूक करने के बावजूद शाम चार बजे तक महज 51 लोगों के सैंपल लिए जा सके। 40 लोग एंटीजन जांच में निगेटिव पाए गए। 40 सैंपल आरटीपीसीआर जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिए गए। करीब दो दर्जन सफाई कर्मी भी शुक्रवार के बाद शनिवार को भी मेंडारा गांव पहुंचे। गंदगी को साफ किया। नाली और नाले की भी सफाई हुई। गांव के घरों, अन्य पक्के निर्माण को सैनिटाइज किया। ग्रामीणों ने बताया कि किसी नियमित सफाई कर्मी की तैनाती नहीं होने से सफाई नहीं होती है।  

दो मौत ही कोरोना से होने का दावा

मेंडारा गांव पहुंची चिकित्सा विभाग की टीम ने मृतकों के घर-घर जाकर मौत का कारण जाना। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी प्रदीप त्यागी ने बताया कि कुछ लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित थे। जिनमें अधिकांश की उम्र 60 साल से अधिक रही है। कई लोग 80 और 90 साल के भी थे। बताया कि 50 वर्षीय राम बहादुर पुत्र भला राम और 52 वर्षीय सिया देवी पत्नी राजेंद्र प्रसाद, इन दोनों की मौत ही कोरोना से हुई है। 

बंद पड़ा है यूनानी दवाखाना 

गांव के दूसरे छोर पर राजकीय यूनानी दवाखाना है। जिसमें शुक्रवार को भी ताला लटकता मिला। ग्रामीणों का आरोप है कि अस्पताल पिछले एक माह से चपरासी के भरोसे है। कभी खुलता है तो कभी खुलता ही नहीं।

भैरव घाट पर दफनाए गए हैं शव

मेंडारा गांव में एक माह में जितनी भी मौतें हुईं उनमें अधिकांश के शव भैरव घाट पर दफनाए गए हैं। जबकि हिंदू रीतिरिवाज के अनुसार शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। मृतका रन्नो मौर्या के पति सुभाष चंद्र ने बताया कि उनके पूर्वजों से शव प्रवाहित करने की परंपरा ही चली आ रही है। इन दिनों शव को प्रवाहित करने पर प्रतिबंध है इसलिए भैरव घाट पर दफना दिया गया। एक मृतक राम बहादुर के भाई कंचन ने बताया कि गरीब होने के कारण महंगी लकड़ी न खरीद पाने के कारण भैरव घाट पर भाई की देह को दफन कर दिया।

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