Covishield और Covaxin को लेकर भ्रमित न हों, डॉक्टर कहते हैं- दोनों ही वैक्सीन में बननी है एंटीबॉडी
टीकाकरण के नोडल अधिकारी डॉक्टर आरएस ठाकुर का कहना है कि शासन से दोनों ही वैक्सीन आ रही है और गाइडलाइन के अनुसार टीके लगाए जा रहे हैं। लोग किसी प्रकार के भ्रम में न रहें क्योंकि एंटीबॉडी दोनों ही वैक्सीन में बननी है।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना से बचाव के लिए इन दिनों टीकाकरण तेज रफ्तार में है। 45 साल से अधिक के लोगों को कोविशील्ड लग रही है और 18 से 44 साल के लाभार्थियों को कोवैक्सीन। इन दोनों ही टीकों में अलग-अलग स्रोतों से बड़े अंतर की जानकारी पाकर लोग भ्रम में हैं कि कौन ज्यादा कारगर है। ऑनलाइन रेजिस्ट्रेशन फुल होने के बाद भी करीब 13 फीसद लोगों के टीकाकरण केंद्र न पहुंचने का भी यही कारण माना जा रहा है कि लाभार्थियों में कोविशील्ड और कोवैक्सीन को लेकर भ्रम है।
एक घर में दो राय
अब ऐसा हो गया है कि एक ही घर मे कोविशील्ड और कोवैक्सीन को लेकर अलग-अलग राय है। 45 साल से अधिक के जो भी लोग कोविशील्ड लगवा चुके हैं, उन्ही के घर के 18 साल से अधिक आयु के युवाओं को कोवैक्सीन लगवाने की मजबूरी है। दोनों वैक्सीन को लेकर मशविरा के बीच भ्रम हो रहा है कि कौन टीका ज्यादा कारगर है।
दोनों वैक्सीन में डोज के दिन का भी अंतर
कोवैक्सीन की दूसरी डोज 28 दिन बाद लगेगी और कोविशील्ड कि 42 दिन बाद। कयास लगाया जा रहा है कि इसमें एफिकेसी यानी एंटीबॉडी बनने की क्षमता कोवैक्सीन से ज्यादा और जल्दी है। जबकि डॉक्टर दोनों ही वैक्सीन को सिर्फ कारगर ही बता रहे हैं। दोनों की गुणवत्ता में अंतर को कोई स्पष्ट नहीं कर पा रहा है।
टीकाकरण के नोडल अधिकारी यह कहते हैं
टीकाकरण के नोडल अधिकारी डॉक्टर आरएस ठाकुर का कहना है कि शासन से दोनों ही वैक्सीन आ रही है और गाइडलाइन के अनुसार टीके लगाए जा रहे हैं। लोग किसी प्रकार के भ्रम में न रहें, क्योंकि एंटीबॉडी दोनों ही वैक्सीन में बननी है। उन्होंने कहा कि रेजिस्ट्रेशन के बाद भी 13 फीसद लाभार्थी केंद्रों में नहीं आ रहे हैं। इसके अन्य कई कारण हो सकते हैं।