संगम में लगी डुबकी, घर-घर पूजे गए श्रीहरि

कार्तिक शुक्लपक्ष की देवोत्थान (देवउठनी) एकादशी पर बुधवार की सुबह श्रीहरि विष्णु जाग्रत हो गए। मठ मंदिरों व घरों में भगवान के पांच माह बाद जाग्रत होने पर खुशी मनाई गई। गंगा और यमुना के घाटों पर सूर्यास्त होने पर दीपदान किए गए।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 02:49 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 02:49 AM (IST)
संगम में लगी डुबकी, घर-घर पूजे गए श्रीहरि
संगम में लगी डुबकी, घर-घर पूजे गए श्रीहरि

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : कार्तिक शुक्लपक्ष की देवोत्थान (देवउठनी) एकादशी पर बुधवार की सुबह भगवान श्रीहरि विष्णु जाग्रत हो गए। मठ, मंदिरों व घरों में भगवान के पाच माह बाद जगने की खुशी मनाई गई। महिलाओं ने सुबह गन्ने से सूप को पीटकर अपने घर से दरिद्रता के भागने की कामना की। वहीं, गंगा यमुना और इन दोनों नदियों के संगम में डुबकी लगाने के लिए भोर से लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। स्नान के बाद सूर्यदेव को अ‌र्घ्य देकर तीर्थपुरोहित के निर्देशानुसार पूजन करके मनोवाछित फल प्राप्ति की कामना की। यमुना के बलुआघाट, गऊघाट, ककरहा घाट व गंगा नदी के रामघाट, दारागंज घाट, अक्षयवट सहित अन्य घाटों पर स्नान दान का सिलसिला दोपहर तक चलता रहा। सूर्यास्त के बाद समस्त घाट हजारों दीपों से जगमगा उठे।

देवोत्थान एकादशी पर घरों व मठ-मंदिरों में भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करके विधि-विधान से पूजन किया गया। उन्हें मिष्ठान, सिंघाड़ा, गन्ना रस अíपत करके शख, घटा-घड़ियाल बजाकर खुशी मनाई गई। इसके साथ ही विवाह, गृहप्रवेश, यज्ञोपवीत, नामकरण, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ जैसे कार्य आरंभ हो गया। भगवान विष्णु के आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि पर शयन पर जाने के कारण मागलिक कार्य रुके थे। वहीं, शाम को संगम, रामघाट, बलुआघाट पर दीपदान करने के लिए हजारों लोगों का जमघट हुआ। घाट पर रंगोली बनाकर दीपक जलाया। कुछ लोगों ने जल में दीपों को प्रवाहित करके मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना की। शुभ मुहूर्त में लिए फेरे

भगवान विष्णु के जाग्रत होने पर शुभ व मागलिक कार्य शुरू हो गए। महीनों से शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा कर रहे जोड़ों ने देवोत्थान एकादशी पर फेरे लेकर सात जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाई। विवाह का विशेष मुहूर्त होने के कारण बुधवार को सभी होटल, गेस्ट हाउस बुक थे।

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