परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थियों तक शैक्षिक सामग्री पहुंचाना टेढ़ी खीर, चल रहा मिशन प्रेरणा का तीसरा चरण

घर ही बन जाएगा विद्यालय हमारा हम चलाएंगे ई पाठशाला। इसी सूत्र वाक्य पर सभी अध्यापकों को कार्य करना है। प्रत्येक सप्ताह शैक्षिक सामग्री जारी की जाती है उसे बच्चों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अध्यापकों की है। चाहे वाट्सएप ग्रुप के जरिए साझा करें या स्वयं बच्चों तक जाएं

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 04:23 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 04:23 PM (IST)
परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थियों तक शैक्षिक सामग्री पहुंचाना टेढ़ी खीर, चल रहा मिशन प्रेरणा का तीसरा चरण
छात्र-छात्राओं की समझ बढ़ाने के साथ शिक्षकों को भी सक्रियता बनाए रखने की हिदायत दी गई है।

प्रयागराज, जेएनएन। परिषदीय स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए मिशन प्रेरणा की शुरुआत की गई है। इसमें छात्र-छात्राओं की समझ बढ़ाने के साथ शिक्षकों को भी सक्रियता बनाए रखने की हिदायत दी गई है। वर्तमान में मिशन प्रेरणा का तीसरा चरण चल रहा है। इसमें निर्देशित किया गय है कि कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दें। वर्तमान परिस्थितियों में विद्यार्थियों तक शैक्षिक सामग्री पहुंचाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।


घर ही बन जाएगा विद्यालय हमारा, हम चलाएंगे ई पाठशाला

बेसिक शिक्षाधिकारी संजय कुशवाहा ने बताया कि स्कूल शिक्षा महानिदेशक की तरफ से जारी निर्देश में कहा गया है कि 'घर ही बन जाएगा विद्यालय हमारा, हम चलाएंगे ई पाठशाला। इसी सूत्र वाक्य पर सभी अध्यापकों को कार्य करना है। प्रत्येक सप्ताह शैक्षिक सामग्री जारी की जाती है, उसे बच्चों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अध्यापकों की है। चाहे वाट्सएप ग्रुप के जरिए साझा करें या फिर भौतिक रूप से स्वयं बच्चों तक जाएं या अभिभावकों को फोनकर विद्यालय बुलाएं। अभिभावकों के पास फोन नहीं है तो पड़ोसियों की भी मदद ली जासकती है। कुछ भी करते हुए बच्चों व अभिभावकों से संवाद बनाना जरूरी है। प्रत्येक सप्ताह अभिभावकों को स्कूल बुलाकर उन्हें पाठ््य सामग्री के बारे में बताना होगा। बच्चों को दिए गए कार्यों की जांच भी करनी होगी।

लक्ष्य के आड़े आ रही संसाधनों की कमी

अकादमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) अनुरागिनी सिंह का कहना है कि सभी शिक्षक घर से ही ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं। संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा है कि बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है। उधर, विद्यार्थियों के पास संसाधन नहीं है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। प्राथमिक विद्यालय राजापुर में कुल 140 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इनमें से 20 प्रतिशत के पास ही स्मार्ट फोन हैं। इसी क्रम में उच्च प्राथमिक विद्यालय एलनगंज की इंचार्ज प्रधानाध्यापिका दीप्ति सक्सेना ने बताया कि उनके विद्यालय में 201 विद्यार्थी हैं। इनमें से मात्र 15 बच्चों के पास स्मार्ट फोन है, वह भी ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान जवाब नहीं दे रहे।

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