महंत के अंतिम दर्शन के लिए दूर-दूर से आए भक्त

महंत नरेंद्र गिरि के ब्रह्मलीन होने पर हर कोई स्तब्ध था। लोगों में जबर्दस्त आक्रोश था। अपने गुरु को अंतिम बार देखने की लालसा भी थी। मंगलवार सुबह से सूरज भी ऐसा तप रहा था जैसे उसका भी गुस्से बाहर निकल रहा है। शूल सी चूभती तेज धूप लोगों को बेहाल कर रही थी। मगर महंत के अंतिम दर्शन के लिए आए भक्तों के जोश के सामने कहीं ठहर नहीं रही थी। लोग तेज धूप की चिता किए बिना मठ तक पैदल आ रहे थे। जब तक उन्होंने गुरु का अंतिम दर्शन नहीं कर लिया तब तक वहीं पर डटे रहे। न उन्हें भूख ने सताया और न ही प्लास लगी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 01:53 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 01:53 AM (IST)
महंत के अंतिम दर्शन के लिए दूर-दूर से आए भक्त
महंत के अंतिम दर्शन के लिए दूर-दूर से आए भक्त

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : महंत नरेंद्र गिरि के ब्रह्मलीन होने पर हर कोई स्तब्ध था। लोगों में जबर्दस्त आक्रोश था। अपने गुरु को अंतिम बार देखने की लालसा भी थी। मंगलवार सुबह से सूरज भी ऐसा तप रहा था, जैसे उसका भी गुस्से बाहर निकल रहा है। शूल सी चूभती तेज धूप लोगों को बेहाल कर रही थी। मगर महंत के अंतिम दर्शन के लिए आए भक्तों के जोश के सामने कहीं ठहर नहीं रही थी। लोग तेज धूप की चिता किए बिना मठ तक पैदल आ रहे थे। जब तक उन्होंने गुरु का अंतिम दर्शन नहीं कर लिया, तब तक वहीं पर डटे रहे। न उन्हें भूख ने सताया और न ही प्लास लगी।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के उपाध्यक्ष ने सोमवार देर रात ही घोषणा कर थी दी कि मंगलवार को सुबह 11.30 बजे से महंत के अंतिम दर्शन के लिए आम लोगों को मठ में आने की अनुमति रहेगी। मगर लोग सुबह नौ बजे से ही श्री मठ बाघम्बरी गद्दी पहुंचने लग गए। मुख्य मार्ग पर बैरिकेडिग होने के कारण लोगों को पैदल ही मठ तक जाना पड़ता। सुबह 10 बजे तक वहां पर लोगों की भीड़ लग गई। कुछ लोग मठ के बाहर खड़े थे। कुछ लोग घरों की छत से एक-एक पल पर नजर बनाए हुए थे। सूरज भी तब तक अपने रौब में आ गया था। उसके बाद तेज धूप ने लोगों को बेहाल करना शुरू कर दिया। उमस के कारण लोगो को प्लास लग रही थी। मगर कोई दुकान मठ के पास नहीं खुली थी। उसके बावजूद लोग वहां से हटे रहे। सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मठ पहुंचे। उसके बाद भीड़ और बढ़ गई। साढ़े 11 बजे मुख्यमंत्री मठ से निकले तो महंत के अंतिम दर्शन करने वाले लोगों का हुजूम गेट पर उमड़ पड़ा। हर कोई जल्द से अपने गुरु को देखने के लिए व्याकुल था। जब लोगों ने अंदर जाकर उन्हें एक बार देख लिया तो उनके मन को तो शांति मिल गई। हंडिया से आए राम मनोहर ने बताया कि उन्हें मंगलवारइ सुबह महंत जी के ब्रह्मलीन होने की जानकारी मिली तो वह उसके बाद प्रयागराज के लिए चल दिए। झलवा से आए सुरेश ने बताया कि रास्ते में बैरिकेडिग होने के कारण मठ तक पैदल आना पड़ा। धूप तेज थी। मगर उनके कदम बस बढ़ते ही जा रहे थे। महंत के अंतिम दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग प्रयागराज आए। देर शाम तक लोगों ने दर्शन किया।

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