प्रयागराज के आश्रय स्थलों में ठंड से ठिठुर रहे गोवंश

ग्रामीणों का आरोप है कि गोवंश आश्रय स्थल में पशुओं को पानी के नाम पर बोरिंग करा ली गई है मगर लोग उससे अपना खेत सींचते हैैं। इस बाबत ग्राम विकास अधिकारी इन्द्र बहादुर सिंह का कहना है कि जल्द ही भूसे की व्यवस्था हो जाएगी।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 02:07 PM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 02:07 PM (IST)
प्रयागराज के आश्रय स्थलों में ठंड से ठिठुर रहे गोवंश
आश्रय स्थलों में अब तक पशुओं को ठंड से बचाव के लिए व्यवस्था नहीं हो सकी है।

प्रयागराज, जेएनएन। बेसहारा मवेशियों के लिए सरकार की ओर से गोआश्रय स्थलों का निर्माण कराया गया है। मगर इन दिनों इन आश्रय स्थलों में गोवंश ठंड से ठिठुर रहे हैैं। यहां ठंड से बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैैं। ज्यादातर आश्रय स्थलों में अब तक पशुओं को ठंड से बचाव के लिए व्यवस्था नहीं हो सकी है।

जिले में 112 गो आश्रय स्‍थल बनाए गए हैं

जिले में लगभग 112 गो आश्रय स्थल बनाए गए हैैं। इनमें तकरीबन 13 हजार गोवंशों को संरक्षित किया गया है। बताते हैैं कि ज्यादातर गोवंश आश्रय स्थलों में ठंड से बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं किया जा सका है। जबकि अब ठंड तेज होने लगी है। यही नहीं आश्रय स्थलों में भूसा-पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं की गई है। इसके कारण बेसहारा पशु सड़कों पर घूमते नजर आते हैैं। कोरांव के लेडिय़ारी इलाके में स्थित बहरैचा गोवंश आश्रय स्थल भी बेहद उपेक्षित है। इस गोशाला में न चारा है और न ही ठंड से बचने के लिए कोई इंतजाम है। इस आश्रय स्थल में 150 गोवंश रजिस्टर में दर्ज हैैं। बताते हैैं कि ज्यादातर गोवंश आश्रय स्थल में नहीं रहते हैैं। यह आश्रय स्थल ढाई लाख रुपये की लागत से बनाया गया है। यहां पर इन गोवंशों को संरक्षित करने के लिए हर माह बजट दिया जाता है मगर व्यवस्था के नाम पर शून्य है।

अफसर बोले- जल्‍द ही तिरपाल और बोरे की व्‍यवस्‍था की जाएगी

ग्रामीणों का आरोप है कि गोवंश आश्रय स्थल में पशुओं को पानी के नाम पर बोरिंग करा ली गई है मगर लोग उससे अपना खेत सींचते हैैं। इस बाबत ग्राम विकास अधिकारी इन्द्र बहादुर सिंह का कहना है कि जल्द ही भूसे की व्यवस्था हो जाएगी। जल्द ही तिरपाल भी लगा दी जाएगी। यही नहीं पशुओं के लिए बोरे की व्यवस्था भी कराई जा रही है। आश्रय स्थल में कार्यरत गोवंश रक्षक प्रेम शंकर, अमर सिंह, गुलाब सिंह ने बताया कि अब चारा नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ग्राम प्रधान ने 868004 रुपये की लागत से पौधारोपण कराए थे लेकिन सिंचाई व देखभाल के अभाव में पौधे सूख गए।

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