डेंगू के मर्ज को हल्के में न लें, इलाज में देरी खतरनाक हो सकता है, जानें क्या कहते हैं डाक्टर
हालात को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि डेंगू भविष्य में खतरनाक भी सकता है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग झोलाछाप डाक्टरों से इलाज करा मर्ज बढ़ा रहे। डाक्टर कहते हैं कि डेंगू से पीडि़त होने पर इलाज में देरी करना अपनी जान आफत में डालने जैसा है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। डेंगू को लेकर विभाग सतर्क तो है लेकिन हमें और आप को भी सजग रहने की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए कि इसे हल्के में लेने से स्वास्थ्य के प्रति प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इन दिनों प्रयागराज में डेंगू बुखार का प्रकोप कम नहीं हो पा रहा है। प्रतिदिन डेंगू के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। जागरूकता, रोकथाम के इंतजाम व मलेरिया विभाग की कवायद डेंगू वाले मच्छरों के रास्ते नहीं रोक पा रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में बीमारी फैलने का सिलसिला जारी है। पिछले 24 घंटे में शहर व ग्रामीण क्षेत्र में 11 लोग डेंगू की चपेट में आ गए हैं।
लगातार मिल रहे डेंगू के मरीज
छोटा बघाड़ा और शिवकुटी में डेंगू के मरीज लगातार मिल रहे हैं। मलेरिया विभाग ने एंटी लार्वा का छिड़काव कराया लेकिन इसका फायदा कितना पहुंचेगा यह विभाग भी नहीं बता पा रहा है। डेंगू के अब तक जनपद में 274 मरीज हो चुके हैं। इनमें शहर के रोगियों की संख्या ग्रामीण मरीजों से तीन गुना है। गुरुवार को चाका, धनूपुर, कोरांव, मऊआइमा, छोटा बघाड़ा, मेहंदौरी कालोनी, एसआरएन परिसर, सलोरी, बहादुरगंज, फाफामऊ और शिवकुटी में एक-एक मरीज मिले। मलेरिया विभाग के अनुसार शिवकुटी, नैनी, गायत्री नगर, चांदपुर सलोरी, छोटा बघाड़ा भागीरथी मार्ग, तहरीया गली, मेडिकल कालेज परिसर, गोङ्क्षवदपुर की एमआइजी व एलआइजी कालोनी, तेलियरगंज, मेहंदौरी कालोनी, जोंधवल, शिवकुटी और भोला का पुरवा में एंटी लार्वा का छिड़काव हुआ।
हालात को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि डेंगू भविष्य में खतरनाक भी सकता है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग झोलाछाप डाक्टरों पर भरोसा करके अपना मर्ज बढ़ा रहे हैं। डाक्टर कहते हैं कि डेंगू से पीडि़त होने पर इलाज में देरी करना अपनी जान आफत में डालने जैसा है।
डेंगू से दो लोगों की हो चुकी है मौत
प्रयागराज में डेंगू रोग की शुरुआत गोविंदपुर की चिल्ला मलिन बस्ती से हुई थी। यहां दो मरीज डेंगू पीड़ित हुए थे। अब हालात ऐसे हो गए हैं की मरीज 205 हो गए हैं। इनमे 16 लोगों का इलाज चल रहा है। एसआरएन अस्पताल की डाक्टर अनुभा श्रीवास्तव कहती हैं कि डेंगू के लक्षण शरीर मे महसूस हों तो इलाज में देरी करना ठीक नहीं है। क्योंकि इसमें प्लेटलेट्स तेजी से घटती है। अक्सर लोग इसे साधारण बुखार समझ कर आसपड़ोस के झोलाछाप डाक्टरों के पास जाते हैं। सस्ते इलाज के चक्कर मर्ज बढ़ जाता है फिर प्लेटलेट्स के लिए ब्लड बैंकों में भागदौड़ करनी पड़ती है। यही काम समय रहते कर लें क्योंकि डेंगू भी खतरनाक हो जाता है। प्लेटलेट्स अचानक तेजी से घटने पर मरीज की जान जा सकती है।
सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा
डाक्टर मेघना त्रिपाठी कहती हैं कि डेंगू का इलाज सरकारी अस्पताल में फ्री में होता है और झोलाछाप डाक्टर पैसे लेकर ग़ैरअनुभवी तरीके से दवा देते हैं। सरकारी अस्पताल में केवल जांच का ही शुल्क निर्धारित है। डेंगू के लक्षण दिखें तो सरकारी अस्पताल जाएं और प्राइवेट अस्पताल में ही इलाज कराना है तो किसी योग्य डाक्टर को दिखाएं। मर्ज को लेकर लापरवाही कतई न करें। कुछ मरीज मामूली बुखार को लेकर लापरवाही बरतते हैं। वे आस पड़ोस में निजी क्लिनिक में इलाज कराते हैं। राहत न मिलने पर उन्हें परेशान होना पड़ता है। ऐसे में स्थिति भी गंभीर हो सकती है।