पैतृक संपत्ति पर बेटी का होगा अधिकार, Supreme Court के फैसले की प्रयागराज में सराहना
उच्चतम न्यायालय ने हर स्थिति में पैतृक संपत्ति पर बेटी को अधिकार देने की व्यवस्था की है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिवक्ता शारदा विश्वकर्मा कहती हैं कि फैसला लिंगभेद मिटाने वाला है।
प्रयागराज, जेएनएन। उच्चतम न्यायालय ने हर स्थिति में पैतृक संपत्ति पर बेटी को अधिकार देने की व्यवस्था दी। इससे प्रयागराज की आधी आबादी ने खुले दिल से इस फैसले को सराहा। महिलाओं ने कहा कि यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा। बेटियों को अब आर्थिक आजादी मिल सकेगी। किसी भी संकट के समय उन्हें दूसरों के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा। जरूरत पड़ेगी तो वे अपने साथ दूसरों को भी सहयोग दे सकेंगी। इस फैसले का लंबे समय से इंतजार था। परिवार के लोगों को भी इसे सकारात्मक ढंग से लेना चाहिए। इसमें किसी तरह के विवाद की स्थिति नहीं पैदा करनी चाहिए।
आइए क्या कहती हैं महिलाएं
फैसला लिंगभेद मिटाने वाला है। अब आधिकारिक तौर पर कहा जा सकेगा कि बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं है। इससे बेटियां भी अपने परिवार की मदद करने में सक्षम होंगी।
- शारदा विश्वकर्मा, अधिवक्ता, हाईकोर्ट
सराहनीय फैसला है लेकिन इसका नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। परिवार में तनाव की वजह भी यह हो सकता है। हालांकि इसे सकारात्मक ढंग से देखने की जरूरत है।
- अर्चना जायसवाल, केंद्रीय विद्यालय ट्रिपलटी झलवा
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की मुहिम के साथ ही संपत्ति का अधिकार दिया जाना चाहिए था। यदि इस पर अमल होता तो नारी सशक्तिकरण जैसे अभियान की जरूरत न पड़ती। अब बेटियां भी आर्थिक तौर पर मजबूत हो सकेंगी।
- ऋतिका अवस्थी, रंग निर्देशिका
कानूनी तौर पर अधिकार मिला है यह बहुत अच्छा है। यहां बेटियों को यह समझना होगा कि यदि वह सक्षम हों तो भाइयों के लिए अपने हक को छोड़ दें। भाइयों को भी समझना होगा कि यदि बहन जरूरतमंद है तो उसे उसका हक दें।
- रचना सक्सेना, गृहणी