प्रयागराज में मात्र 10 रुपये में देखें जयपुर की कच्‍ची घोड़ी नृत्‍य व हरियाणा का बीन वादन

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रांगण के शिल्प हाट में राष्ट्रीय शिल्प मेले की शुरूआत आज से होगी। मेला 12 दिसंबर तक लगा रहेगा। इसमें विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी कला को मंच पर प्रदर्शित करेंगे तो हस्तशिल्प कलाकारों का जमावड़ा भी होगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 10:23 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 10:23 AM (IST)
प्रयागराज में मात्र 10 रुपये में देखें जयपुर की कच्‍ची घोड़ी नृत्‍य व हरियाणा का बीन वादन
एनसीजेडसीसी में आज से शुरू होे रहे शिल्प मेला में प्रवेश शुल्क 10 रुपये तय किया गया है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज आज बुधवार से सांस्कृतिक छटा बिखरने वाली है। मात्र 10 रुपये खर्च करके आप जयपुर की कच्‍ची घोड़ी का नृत्‍य देख सकेंगे और हरियाणा के मधुर बीन वाहन का आनंद ले सकेंगे। इतना ही नहीं, विभिन्‍न प्रदेशों की हस्‍तशिल्‍प का भी नजारा ले सकेंगे। जी हां, यह सब एक स्‍थान ही संभव होगा। गुनगुनी धूप में इन सब का आनंद लेने के लिए प्रयागराज के सर्किट हाउस के निकट स्थित उत्‍तर मध्‍य क्षेत्र सांस्‍कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) आप भी जरूर पहुंचें।

एनसीजेडसीसी में शिल्‍प मेले का उद्घाटन आज, प्रवेश शुल्‍क 10 रुपये

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रांगण के शिल्प हाट में राष्ट्रीय शिल्प मेले की शुरूआत आज एक दिसंबर से होगी। यह मेला 12 दिसंबर तक लगा रहेगा। शिल्‍प मेले का शुभारंभ मंडलायुक्त संजय गोयल करेंगे। इसमें विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी कला को मंच पर प्रदर्शित करेंगे तो हस्तशिल्प कलाकारों का जमावड़ा भी होगा। जयपुर राजस्थान का कच्ची घोड़ी नृत्य और हरियाणा के रामबीर सोडा दल की ओर से बीन वादन प्रमुख आकर्षण का केंद्र होंगे। शिल्प मेला में प्रवेश शुल्क 10 रुपये तय किया गया है।

जानें, इस बार शिल्‍प मेले में क्‍या हुए हैं बदलाव

केंद्र के निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा ने बताया कि शिल्‍प मेले में इस बार कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। जैसे कि सभी दलों के कलाकारों के आधार नंबर को पंजीकृत किया गया है। इससे किसी भी कलाकार को केवल अपने ही पंजीकृत दल के साथ कला के प्रदर्शन का अवसर मिलेगा। यदि वही कलाकार दूसरे दल में भी शामिल होकर प्रदर्शन करना चाहता है तो वह ऐसा नहीं कर पाएगा। जो भी दल या कलाकार कई साल से एक ही तरह की कला का प्रदर्शन शिल्प मेले में करते रहे हैं, उनकी जगह नए कलाकारों को मौका दिया गया है। मेले में 97 शिल्प कारीगर अपने स्टाल लगा रहे हैं तो 21 खाद्य पदार्थों के उस्ताद अपने क्षेत्र की पारंपरिक खाद्य सामग्री के स्टाल लगाएंगे।

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