Covid-19 Vaccine: कोरोनारोधी टीके से मानव शरीर में बनने वाले एंटीबाडी के असर पर अध्ययन शुरू
Covid-19 Vaccine लाभार्थियों के रक्त नमूने के जरिए पता लगाया जाएगा कि टीके तथा ध्यान के समावेश का कितना असर हुआ। सहमत होने वाले लाभार्थी को पहली डोज लगवाने के पहले और छह महीने बाद चार बार रक्त का नमूना देना होगा।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कोरोनारोधी टीके कोविशील्ड और कोवैक्सीन से एंटीबाडी टाइटर बनने की तस्वीर जल्द ही साफ हो सकेगी। हालांकि लाभार्थी को इसके साथ ध्यान यानी मेडिटेशन भी करना होगा। इससे यह पता चलेगा कि टीके का असर कितना बढ़ रहा है। प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज स्थित टीकाकरण केंद्र में इस अध्ययन की शुरुआत सोमवार को हो चुकी है।
मेडिकल कालेज की जूनियर डाक्टरों की पहल
पहले दिन फिजियोलाजी विभाग की जूनियर डाक्टर ममता दुबे और उनके सहयोगियों ने यह पहल की। टीका लगवाने पहुंचे युवा और 45 साल से अधिक उम्र के 41 लोगों की सहमति से उनके रक्त के नमूने लिए गए। यह प्रक्रिया निश्शुल्क है। लाभार्थियों के रक्त नमूने के जरिए पता लगाया जाएगा कि टीके तथा ध्यान के समावेश का कितना असर हुआ। सहमत होने वाले लाभार्थी को पहली डोज लगवाने के पहले और छह महीने बाद चार बार रक्त का नमूना देना होगा।
500 लोगों पर होना है अध्ययन
टीकाकरण केंद्र के नोडल अधिकारी डा. उत्सव सिंह ने बताया कि अध्ययन 500 लोगों पर होगा। पूरे एक महीने यानी 26 अक्टूबर तक नमूने लिए जाएंगे। इस अध्ययन का मार्गदर्शन फिजियोलाजी विभागाध्यक्ष डा. आरबी कमल कर रहे हैैं।
यह अपनाई जाएगी प्रक्रिया
रक्त का नमूना लिए जाने के बाद टीके की पहली डोज लगाई जाएगी। दूसरी बार 21 दिन बाद रक्त का नमूना लिया जाएगा। फिर दूसरी डोज लगने के 21 दिन बाद तीसरी बार सैैंपल लिया जाएगा। चौथी और अंतिम बार रक्त नमूना पहली डोज लगने की तारीख से छह महीने बाद लिया जाएगा।
दूसरे दिन से करेंगे मेडिटेशन
अध्ययन कर रही डा. ममता दुबे पूरे 17 साल से ध्यान करने के अलावा दूसरों को सिखा रही हैं। कहती हैैं कि मेडिटेशन यानी ध्यान का रोग प्रतिरोधक क्षमता से गहरा नाता है। चित्त शांत रहता है। जब चित्त शांत रहेगा तो इम्युनिटी भी बढ़ेगी। उन्होंने दैनिक जागरण को बताया कि पहली डोज लगवाने वाले लाभार्थियों को दूसरे दिन से आनलाइन ध्यान कराया जाएगा। एक दिन का गैप इसलिए दिया जाएगा क्योंकि टीके से कभी-कभी शरीर सुस्त पड़ जाता है।
इंफ्लुएंजा टीके पर अचरज भरे परिणाम
डा. ममता दुबे के अनुसार 2007 में इंफ्लुएंजा टीके पर ऐसा ही अध्ययन हो चुका है। इसका प्रकाशन अमेरिकन जर्नल आफ चाइनीज मेडिसिन में हुआ है। इस अध्ययन का निष्कर्ष यह था कि जिन लोगों ने टीका लगवाने के साथ ध्यान किया था उनमें 20 सप्ताह बाद एंटीबाडी टाइटर 109 फीसद मिला। टीके लगवाने के बाद जिन्होंने ध्यान नहीं किया उनमें महज 10 फीसद ही एंटीबाडी टाइटर बना।