कोरोना काल में बच्चों में नए लक्षण दिखे तो न करें नजअंदाज, एसजीपीजीआइ लखनऊ की चिकित्‍सक ने दी सलाह

एसजीपीजीआइ लखनऊ की वरिष्ठ कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय बच्चों में कोई भी नए लक्षण नजर आएं तो उनको नजरंदाज कतई न करें। वह बालगृहों के बच्‍चों को कोविड से बचाव के लिए सुझाव दे रही थीं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 12:24 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 12:24 PM (IST)
कोरोना काल में बच्चों में नए लक्षण दिखे तो न करें नजअंदाज, एसजीपीजीआइ लखनऊ की चिकित्‍सक ने दी सलाह
बच्‍चों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए एसजीपीजीआइ लखनऊ की चिकित्‍सक ने सलाह दिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत प्रदेश में संचालित 180 बालगृहों में रह रहे 18 साल तक के बच्चों को कोरोना से सुरक्षित रखने को लेकर विभागीय कोविड वर्चुअल ग्रुप के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने गहनता से विचार-विमर्श किया। बच्चों में कोरोना के लक्षण और बचाव के तरीकों पर विषय विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। सभी का यही कहना था कि बालगृहों में साफ़-सफाई, बच्चों के खानपान और उनकी खास देखभाल की इस वक्त अधिक जरूरत है । 

बच्‍चों में यह लक्षण दिखे तो सजग हो जाएं

एसजीपीजीआइ लखनऊ की वरिष्ठ कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय बच्चों में कोई भी नए लक्षण नजर आएं तो उनको नजरंदाज कतई न करें। बच्चों में डायरिया, उल्टी-दस्‍त, सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, आंखें लाल होना या सिर व शरीर में दर्द होना, सांसों का तेज चलना आदि कोरोना के लक्षण हो सकते हैं। लक्षण सामान्य हैं तो बच्चे को होम आइसोलेशन में रखें किन्तु बच्चा यदि पहले से किन्हीं बीमारियों की चपेट में रहा है और कोरोना के भी लक्षण नजर आते हैं तो उसे चिकित्सक के संपर्क में रखें।

डॉ. पियाली ने बालगृह में रह रहे बच्चों के लिए दी सलाह

डॉ. पियाली ने बालगृह में रह रहे बच्चों का हेल्थ चार्ट बनाने पर जोर दिया। कहा कि यह चार्ट हर बालगृह अपने पास रखें और उसको नियमित रूप से भरते रहें। चार्ट में बुखार, पल्स रेट, आक्सीजन सेचुरेशन, खांसी, दस्त आदि का जिक्र होगा। इससे पता चलता रहेगा कि बच्चे को कब आइसोलेट करने की जरूरत है या कब अस्पताल ले जाना है।

बच्‍चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का उपाय जानें

पीडियाट्रिशियन डॉ. पियाली ने कहा कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए उनके खाद्य पदार्थों में हरी साग-सब्जी, दाल, मौसमी फल जैसे तरबूज, खरबूज, नींबू, संतरा आदि को जरूर शामिल करें ताकि शरीर में रोग से लड़ने की ताकत पैदा हो सके। इसके अलावा हाई प्रोटीन का भी ख्याल रखें, बच्चे को पनीर, मठ्ठा, छाछ, गुड-चना आदि इसके लिया दिया जा सकता है। मांसाहारी को अंडा, मछली आदि दिया जा सकता है।

कोरोना की तीसरी लहर में बच्‍चे अधिक हो सकते हैं प्रभावित

कोरोना की तीसरी लहर सितंबर-अक्टूबर में आने की बात कही जा रही। डॉक्टर पियाली ने कहा कि यदि तीसरी लहर आती भी है तो बच्चे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। क्योंकि 18 साल से ऊपर वालों का ही अभी टीकाकरण किया जा रहा है, उसके नीचे वालों के लिए तो अभी कोई टीका भी नहीं है। इसलिए उनको सुरक्षित बनाने के लिए बाल गृहों में हेल्प डेस्क की स्थापना हो और वहां पर हेप्लाइन के नंबर 1075, 1800112545 और चाइल्ड लाइन का नंबर 1098 जरूर डिस्प्ले जरूर होना चाहिए। 

महिला कल्याण के निदेशक ने कहा

निदेशक, महिला कल्याण मनोज कुमार राय ने कहा कि कोविड-19 को देखते हुए बाल गृहों में रह रहे बच्चों को पहले से ही विभिन्न आयु वर्ग में विभाजित कर उनके स्वास्थ्य की देखभाल की जा रही है। अन्य व्यवस्थाएं भी चुस्त-दुरुस्त हैं। बाल गृहों में विशेषज्ञों की राय से जरूरी दवाओं का प्रबंध किया गया है। उन्‍होंने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में 180 बाल गृह संचालित हो रहे हैं, जिनमें शून्य से 18 साल के करीब 7000 बच्चे रह रहे हैं। 

वेबिनार में प्रदेश के समस्त मंडलों के विभागीय अधिकारियों, जिलों के प्रोबेशन अधिकारियों, बाल गृहों के अधीक्षक, केयर टेकर, काउंसलर, नर्सिंग स्टाफ के अलावा सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), यूनिसेफ व अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए ।

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