Coronavirus Prayagraj News : इंसानियत के दुश्‍मन, संक्रमण से मौत के बाद शव से निकाल रहे जेवर, दर्ज हुआ मुकदमा

Coronavirus Prayagraj News सज्जाद का आरोप है कि उनकी कोरोना संक्रमित मां रूही रिजवी की प्रयागराज-कौशांबी सीमा पर स्थित निजी कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में 24 अप्रैल को मौत हो गई थी। अस्पताल के एक कर्मचारी ने उनके दोनों हाथ में पहने कंगन और 15 हजार रुपये निकाल लिए।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 08:38 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 08:38 PM (IST)
Coronavirus Prayagraj News : इंसानियत के दुश्‍मन, संक्रमण से मौत के बाद शव से निकाल रहे जेवर, दर्ज हुआ मुकदमा
आरोपित अस्‍पताल का कर्मचारी मुकदमा दर्ज होने के बाद से सपरिवार फरार है।

प्रयागराज, [अमरदीप भट्ट]।  यदि कोविड अस्पतालों में दुर्भाग्यवश आप अपने स्वजन को भर्ती कराने जा रहे हों तो थोड़ा सतर्क रहें। खास तौर पहने हुए उनके आभूषणों को लेकर। दरअसल आपदा में असुर बने लोग शवों से जेवर चुराने में भी पीछे नहीं हैैं, मानवता बेमानी है उनके लिए। कौशांबी के पिपरी थाने में दर्ज एफआइआर ने पुलिस के साथ-साथ उन लोगों को भी चौंका दिया है जो यह मानते हैैं कि अंतिम विदाई के समय हर कोई संवेदन शील होता है। 

शहर में राजरूपपुर स्थित जगमल हाता निवासी सज्जाद जहीर बुधवार को शव से जेवरात चुराने की शिकायत लेकर पिपरी थाने पहुंचे। पुलिस ने काफी ना-नुकुर के बाद उनकी रिपोर्ट दर्ज की। सज्जाद का आरोप है कि उनकी कोरोना संक्रमित मां रूही रिजवी की प्रयागराज-कौशांबी  सीमा पर स्थित निजी कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में 24 अप्रैल को मौत हो गई थी। अस्पताल में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने उनके दोनों हाथ में पहने कंगन (कीमत डेढ़ लाख रुपये) और पर्स में रखे 15 हजार रुपये निकाल लिए। रिपोर्ट नामजद है। इसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मी के अलावा असरावे कला गांव निवासी उस आभूषण व्यापारी का भी नाम भी है, जिसने औने पौने दाम पर कंगन खरीदे थे। आरोपित अस्पताल कर्मी सपरिवार फरार है।

इससे पहले स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में अपनी पत्नी को उपचार के दौरान खोने वाले अफसर पति ने भी कुछ ऐसा ही आरोप लगाया था। उनका कहना है कि शव का कोरोना प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार कराया गया लेकिन टॉप्स, चेन, अंगूठी, पायल का पता नहीं चला। जब तक इलाज चला, घर का खाना पहुंचाने के नाम पर वार्ड ब्वाय भी धन उगाही करते रहे।

व्यवस्था ही देती है मौका

अंतिम संस्कार के लिए तय गाइड लाइन ही ऐसे मामलों के लिए जिम्मेदार मानी जा सकती है। मरीज की मौत हो जाने पर शव को प्रोटोकॉल के तहत विशेष कवर में लपेट कर सीधे फाफामऊ घाट तक भेजने की व्यवस्था है। शव स्वजन को नहीं दिया जाता। संक्रमण का खतरा देख स्वजन भी कवर खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, यहीं 'खेलÓ हो जाता है। 

वार्ड की सिस्टर पर होती है जिम्मेदारी

एसआरएन स्थित लेवल थ्री कोविड हास्पिटल के नोडल अफसर डा. सुजीत वर्मा कहते हैैं कि हमारे यहां वार्ड में कार्यरत सिस्टर को जिम्मेदारी दी गई है कि किसी मरीज की मौत होने पर उसका मोबाइल फोन, जेवर, पैसे आदि एकत्रित कर स्वजन के सुपुर्द किया जाए। ऐसा हो भी रहा है। मौत होने पर शव को विशेष रूप से पैक करा कर ही कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार के लिए भेजा जाता है।

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